भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने गुरुवार को बैंकों के लिए वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग से जुड़े दिशानिर्देशों का नया ड्राफ्ट जारी किया है. ड्राफ्ट में प्रस्ताव है कि रिजर्व बैंक के दायरे में आने वाले बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लोन रिकवरी एजेंट कर्जदार को शाम 7 बजे के बाद और सुबह 8 बजे से पहले संपर्क नहीं कर सकेंगे. इस ड्राफ्ट पर रिजर्व बैंक ने सभी भागीदारों से 28 नवंबर तक उनकी राय मांगी है.
ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि बैंक और NBFCs जैसे वित्तीय संस्थान मैनेजमेंट से जुड़े मुख्य फैसलों, पॉलिसी तैयार करने और लोन मंजूरी जैसे फैसलों के लिए आउटसोर्सिंग सेवा का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. बैंकों और NBFCs कंपनियों के अलावा इस नियम के दायरे में पेमेंट बैंक, स्माल फाइनेंस बैंक, नाबार्ड और सिडबी जैसे वित्तीय संस्थान, सभी तरह के सहकारी बैंक और क्रेडिट इन्फॉर्मेंशन कंपनियां आएंगी.
कोड ऑफ कंडक्ट का पालन करना होगा
ड्राफ्ट में कहा गया है कि बैंकों और RBI के दायरे में आने वाले अन्य सभी वित्तीय संस्थानों को डायरेक्ट सेल्स एजेंट्स, डायरेक्ट मार्केटिंग एजेंट्स और रिकवरी एजेंट्स के लिए बोर्ड से मान्य किया गया कोड ऑफ कंडक्ट बताना होगा और उसका पालन करने के लिए कहना होगा. इसके अलावा बैंकों और वित्तीय संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके एजेंट्स अपनी जिम्मेदारियों को संवेदनशीलता के साथ निभाने में प्रशिक्षित हों.
कर्जदार की निजता का रखना होगा ध्यान
एजेंट्स को कर्जदार की निजता का भी ध्यान रखना होगा. कर्ज रिकवरी के दौरान रिकवरी एजेंट कर्जदार के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकता और ना ही शारीरिक हानि पहुंचा सकता है. ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि एजेंट्स अगर किसी ग्राहक को बैंक या वित्तीय संस्थान का कोई प्रोडक्ट बेचते हैं तो उन्हें उस प्रोडक्ट से जुड़े नियम और शर्तें शपष्टता के साथ बतानी होंगी. ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है रिकवरी एजेंट कर्जदार या गारंटर के मोबाइल या सोशल मीडिया पर किसी तरह की धमकी नहीं दे सकते.