कर्ज लेने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. कर्ज लेने वालों की संख्या में छोटे शहरों के कर्ज लेने वालों की हिस्सेदारी चार साल पहले के 55 फीसद की तुलना में बढ़कर 75 फीसद हो गई है. पैसाबाजार के एक अध्ययन के मुताबिक टियर-2 और टियर 3 शहरों से क्रेडिट स्कोर पूछताछ बढ़ी है. वित्त वर्ष 2019 में टियर 2 में कर्ज लेने वालों की हिस्सेदारी 28 फीसद से बढ़कर 30 फीसद और टियर 3 की हिस्सेदारी 27 फीसद से बढ़कर 45 फीसद हो गई थी.
कर्जदारों की संख्या में बढ़ोतरी से कर्जदाताओं को काफी फायदा हो रहा है और वे अच्छी मात्रा में कर्ज बांट रहे हैं. हालांकि कंपनियों के लिए वेतनभोगी उधारकर्ता उनके लिए पंसदीदा वर्ग है. रिपोर्ट के मुताबिक लोन देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थाएं स्वरोजगार आवेदक की जगह वेतनभोगी आवेदक को कर्ज देना ज्यादा पसंद करती हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक वेतनभोगी और स्व-रोजगार व्यक्तियों के बीच असमानता होती है. क्रेडिट स्कोर की बात करें तो 25 फीसद से ज्यादा वेतनभोगी उपभोक्ताओं का स्कोर 770 और उससे ज्यादा है, जबकि सिर्फ 14 फीसद स्वरोज़गार उपभोक्ताओं के पास ही इतनी मजबूत क्रेडिट प्रोफ़ाइल है. रिपोर्ट के अनुसार अभी भी वेतनभोगी कर्जदारों को प्राथमिकता है क्योंकि स्वरोज़गार ग्राहकों की तुलना में उनके आवेदन कम रिजेक्ट होते हैं, उन्हें जल्दी लोन मिल जाता है.