आमतौर पर अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर लोग क्रेडिट कार्ड से या पर्सनल लोन लेते हैं. कर्ज मिलने की प्रक्रिया आसान होने की वजह से यह कारोबार खूब चल रहा है. इस कर्ज पर सालाना 16 से 48 फीसद तक का ब्याज चुकाना पड़ता है. अगर आपके पास जीवन बीमा पॉलिसी है तो इसके एवज में सस्ता कर्ज ले सकते हैं. आजकल लगभग सभी जीवन बीमा कंपनियां यह सुविधा मुहैया करा रही हैं. यह कर्ज क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन की तुलना में काफी सस्ता होता है. बीमा पालिसी पर कर्ज लेने की प्रक्रिया एकदम आसान है. इस कर्ज के लेने से आपके बीमा कवर पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
कैसे मिलेगा कर्ज? जीवना बीमा पालिसी पर लोन की सुविधा देने के लिए कंपनियों ने विशेष फार्मेट बना रखे हैं. इस फार्म को आप बीमा कंपनी की नजदीकी शाखा से प्राप्त कर सकते हैं. यह फार्म कंपनी की वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है. इसमें पालिसी का ब्योरा और लोन की राशि दर्ज करनी होती है. पूरी तरह से भरकर इस फार्म को आप बीमा कंपनी की नजदीकी शाखा में जाकर जमा करा दें. इस काम में आप अपने बीमा एजेंट की सेवाएं भी ले सकते हैं जो आपका काम समय पर करा सकता है. कई कंपनियां यह सुविधा ऑनलाइन भी मुहैया करा रही हैं.
कर्ज की राशि बीमा कंपनियां पॉलिसी पर कर्ज की राशि उसकी सरेंडर वैल्यू के हिसाब से तय करती हैं. परंपरागत बीमा योजनाओं में सरेंडर वैल्यू की अधिकतम 90 फीसद राशि कर्ज के रूप में मिल सकती है. पालिसी के पेडअप की स्थिति में कर्ज की सीमा 85 फीसद तक हो सकती है. अगर कोई कंपनी यूलिप पर लोन की सुविधा देती है तो इसमें कर्ज की राशि उसकी फंड वैल्यू पर निर्भर करेगी. तमाम बीमा कंपनियों की अलग-अलग शर्तें हैं. हालांकि कर्ज की सुविधा सभी कंपनियां दे रही हैं. टर्म इंश्योरेंस प्लान में यह सुविधा नहीं है.
कितना लगेगा ब्याज? पॉलिसी के एवज में दिए जाने वाला कर्ज सुरक्षित श्रेणी का होता है इसलिए बीमा कंपनियां इस कर्ज को देने में कोई आनाकानी नहीं करतीं. जाहिर है ब्याज की दर भी काफी किफायती होती है. इस समय तमाम जीवन बीमा कंपनियां पालिसी लोन पर नौ से दस फीसद की दर से ब्याज वसूल रही हैं. ज्यादातर कंपनियां इस कर्ज पर ब्याज की गणना छमाही चक्रवृद्धि के आधार पर करती हैं. कुल मिलाकर देखें तो यह कर्ज बाजार में मौजूद अन्य विकल्पों की तुलना में सस्ता पड़ता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट? इंश्योरेंस एक्सपर्ट विकास शर्मा कहते हैं कि आपात स्थिति में पैसे की जरूरत पड़ने पर जीवन बीमा पॉलिसी पर लोन अच्छा विकल्प है. लोन की प्रक्रिया एकदम आसान है. पॉलिसीधारक के खाते में दो दिन में पैसा पहुंच जाता है. इस समय एलआईसी (LIC) सरेंडर वैल्यू का 90 फीसद तक लोन 10 फीसद ब्याज पर दे रही है. ब्याज का भुगतान दो किस्तों में करना होता है. शर्मा कहते हैं कि अगर पॉलिसी मैच्योर होने में एक-दो साल ही बचें तो उसे सरेंडर करके बंद कराने के बजाय लोन लेने में ज्यादा फायदा है. इससे पॉलिसी की पूरी अवधि तक बीमा कवर का लाभ मिलता रहेगा.
भुगतान का विकल्प बीमा पालिसी पर कर्ज के भुगतान की समय सीमा पालिसी की अवधि पर निर्भर करती है. अगर आपकी पालिसी पांच साल और चलेगी तो बीमा कंपनी आपको पांच साल तक के लिए कर्ज दे सकती है. इस कर्ज की अदायगी हर हाल में मैच्योरिटी से पहले करनी होगी. अगर आप कर्ज और ब्याज का भुगतान नहीं करते हैं तो ब्याज की राशि कर्ज के मूलधन में जोड़ दी जाएगी. अगर कर्ज और ब्याज की राशि पालिसी की सरेंडर वैल्यू से ज्यादा हो जाती है तो कंपनी आपकी पालिसी को बंद कर देगी. इसके बाद ग्राहक को किसी भी तरह का जीवन बीमा कवर भी नहीं मिलेगा. इसलिए बीमा पालिसी पर लिए गए कर्ज का समय पर भुगतान करने की पूरी कोशिश करें.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।