महंगे टमाटर से केवल आप ही परेशान नहीं हैं। टमाटर की महंगाई से RBI भी चिंतित है। बढ़ती महंगाई RBI पर ब्याज दरें और बढ़ाने का दबाव बना रही है। खुद RBI ने माना है कि महंगाई से लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है। प्रमुख ब्याज दरों में फिलहाल कटौती की संभावना नहीं है। मतलब ऋण सस्ता नहीं बल्कि अभी और महंगा होगा।
RBI ने अपने मासिक बुलेटिन में कहा है, मौद्रिक नीति को तबतक कठोर रास्ते पर चलना होगा, जबतक महंगाई तय लक्ष्य दायरे में नहीं आ जाती। सरकार ने RBI को खुदरा महंगाई दो फीसद घटबढ़ के साथ 4 फीसद के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है। जून महीने में खाद्य पदार्थों के महंगा होने से खुदरा महंगाई दर बढ़कर 4.81 फीसद हो गई है। खुदरा महंगाई का यह तीन महीने का उच्चतम स्तर है। खुदरा महंगाई के दोबारा बढ़ने से इस साल ब्याज दरों में कटौती की संभावना खत्म हो गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने जुलाई बुलेटिन में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर लिखे एक लेख में कहा है, प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में खराब मौसम के कारण फसल को नुकसान होने से टमाटर की कीमतों में आई तेजी ने व्यापक रूप से ध्यान आकर्षित किया है, क्योंकि इससे घरों के बजट प्रभावित हुए हैं।
महंगाई दर में हलचल मचाने में टमाटर की कीमतों का ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण योगदान रहा। इससे खुदरा और थोक बाजारों में अन्य सब्जियों की कीमतों पर भी असर पड़ा है। टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी से अन्य वस्तुओं की कीमतों पर असर होता है। और इससे महंगाई बढ़ने की चुनौती को लेकर एक बड़ी चिंता बनी हुई है।
बढ़ रहा है ब्याज दर बढ़ने का खतरा उधर अमेरिका में भी तमाम कठोर कदमों के बाद भी महंगाई घट नहीं रही है। अमेरिका के रोजागार बाजार के मजबूत आंकड़ों से महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में अब फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में एक चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। अगर अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ती हैं, तब भारत में भी इसका असर होगा। RBI भी ब्याज दरों में और बढ़ोतरी कर सकता है। हालांकि, पिछली दो बैठकों में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 6.25 फीसदी पर स्थिर रखा है। अगली मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दर बढ़ने की आशंका है।
कब विकसित देश बनेगा भारत? भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है, भारत 7.6 फीसद की औसत वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर के साथ 2047 तक एक विकसित देश बन सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रति व्यक्ति आय का अपेक्षित स्तर हासिल करने के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी को अगले 25 वर्षों के दौरान सालाना 7.6 फीसद की दर से बढ़ने की जरूरत है। भारत की वृद्धि दर 2022-23 में 7.2 फीसद थी। चालू वित्त वर्ष में इसके 6.5 फीसद रहने का अनुमान है।
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