राहुल शादी के लिए पर्सनल पर्सनल लो ले रहे थे लेकिन बैंक ने उनका आवेदन खारिज कर दिया. पूछने पर बताया गया कि उनका सिबिल स्कोर खराब था. राहुल की तरह अगर आप भी लोन ले रहे हैं तो बैंक सबसे पहले आपका क्रेडिट स्कोर जरूर चेक करेगा. इसे सिबिल स्कोर भी कहा जाता है. अच्छा क्रेडिट स्कोर लोन के मामले में मददगार साबित होता है. पर्सनल लोन हो, क्रेडिट कार्ड हो या फिर होम लोन. हर जगह बैंक या फाइनेंस कंपनी क्रेडिट स्कोर वैरिफाई करती है. क्रेडिट स्कोर कैसे सुधारें, इससे पहले जानते हैं कि क्रेडिट स्कोर कैलकुलेट कैसे किया जाता है.
कैसे कैलकुलेट होता है सिबिल स्कोर? ट्रांस यूनियन सिबिल (TransUnion CIBIL) की तरह अन्य क्रेडिट ब्यूरो, लोन और क्रेडिट कार्ड से जुड़े आपके लेनदेन का ब्योरा बैंक समेत दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से इकट्ठा करते हैं. इस जानकारी के आधार पर क्रेडिट रिपोर्ट और सिबिल स्कोर तैयार किया जाता है. लोन के लिए अप्लाई करने पर बैंक क्रेडिट ब्यूरो से आपकी क्रेडिट रिपोर्ट और स्कोर मांगते हैं. इसके जरिए बैंक असेसमेंट करता है कि आप लोन चुका सकते हैं या नहीं. इससे बैंक को आपकी वित्तीय साख का पता चलता है.
क्रेडिट स्कोर का क्या है दायरा? क्रेडिट स्कोर 300 से 900 के बीच होता है. आपका क्रेडिट स्कोर 900 के जितना करीब होगा, लोन अप्रूवल के चांस उतने ज्यादा होंगे. आमतौर पर 750 से ऊपर का क्रेडिट स्कोर अच्छा माना जाता है. 550 से 750 के बीच का स्कोर ठीक यानी औसत माना जाता है जबकि 550 से नीचे का स्कोर खराब यानी लो क्रेडिट स्कोर माना जाता है. क्रेडिट स्कोर खराब होने पर बैंक लोन देने से मना कर सकते हैं या ज्यादा इंटरेस्ट रेट चार्ज कर सकते हैं. क्रेडिट स्कोर के अलावा और भी कई फैक्टर हैं, जो लोन के मामले में काम करते हैं.
किन बातों पर निर्भर करता है सिबिल स्कोर? सिबिल स्कोर का कैलकुलेशन कई फैक्टर्स पर निर्भर है. जैसे आपकी रीपेमेंट हिस्ट्री कैसी है? यानी आप टाइम पर ईएमआई (EMI) या क्रेडिट कार्ड का पेमेंट करते हैं या नहीं. दूसरा है क्रेडिट यूटिलाइजेशन. क्रेडिट यूटिलाइजेशन का मतलब है कि क्रेडिट कार्ड की जो लिमिट है, उसका आप कितना इस्तेमाल करते हैं. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल जितना ज्यादा करेंगे क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो (CUR) उतना अधिक होगा. यह दिखाता है कि हंगरी बिहेवियर और खर्च पर आपका कंट्रोल नहीं है. क्रेडिट यूटिलाइजेशन बहुत ज्यादा होने का असर क्रेडिट स्कोर पर पड़ता है. लोन लेने के लिए बहुत ज्यादा इन्क्वायरी या आवेदन करते हैं तो भी सिबिल स्कोर पर असर पड़ेगा.
क्रेडिट स्कोर सुधारने के उपाय? अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री मेंटेंन करके आप सिबिल स्कोर सुधार सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ स्टेप फॉलो करने होंगे. लोन की ईएमआई या क्रेडिट कार्ड का पेमेंट समय पर करें. देरी से पेमेंट का निगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है. क्रेडिट लिमिट का इस्तेमाल सावधानी से करें. क्रेडिट यूटिलाइजेशन को क्रेडिट लिमिट के 30 फीसदी से कम रखें. बार-बार या एक ही समय पर कई लोन के लिए आवेदन करने से बचें. बहुत जरूरी होने पर ही आवेदन करें. होम लोन और ऑटो लोन जैसे सिक्योर्ड लोन और पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड जैसे अनसिक्योर्ड लोन के बीच तालमेल बनाकर रखें. ज्यादा अनसिक्योर्ड लोन होना निगेटिव माना जाता है.
ईएमआई न चुकाने का असर किसी लोन अकाउंट में अगर आप गांरटर, को-बोरोअर या ज्वाइंट अकाउंट होल्डर हैं तो उस पर नजर रखें.. अगर आपका साथी कोई पेमेंट मिस करता है तो आप भी बराबर के जिम्मेदार होंगे. उसकी लापरवाही आपके कर्ज लेने की क्षमता पर असर डाल सकती है. सिबिल स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट को समय-समय पर चेक करें. बार-बार सिबिल स्कोर चेक करने से आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, अगर बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन आपकी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करते हैं तो इसे ‘हार्ड एन्क्वायरी’ माना जाता है.
और क्या करें? अच्छा क्रेडिट स्कोर कई मायने में फायदेमंद साबित होता है. जैसे कि लोन अप्रूवल के चांस बढ़ जाते हैं. क्रे़डिट स्कोर अच्छा या श्रेष्ठ (Excellent) होने पर काफी आकर्षक रेट पर लोन मिल सकता है. लोन के टाइम पर बैंक या एनबीएफसी के साथ अच्छे से मोलभाव करने की स्थिति में होंगे. यही नहीं, प्री-एप्रूव्ड लोन और क्रेडिट कार्ड के केस में भी तवज्जो मिलेगी. किसी भी लोन को सेटल करने से बचें और पूरा पेमेंट करके क्लोज करने की कोशिश करें. क्रेडिट स्कोर अच्छा रखेंगे तो राहुल की तरह जरूरत के समय आपको पैसे के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।