इरा की सैलरी बढ़ने पर 20 हजार रुपए का एरियर मिला है. वह इस पैसे को बैंक एफडी और म्यूचुअल फंड से अलग किसी नई जगह लगाना चाहती है. इरा की दोस्त सारिका ने उसे पी2पी लेंडिंग के विकल्प का सुझाव दिया. इरा को पी2पी लेंडिंग के बारे में कुछ नहीं पता.
सारिका इरा को रास्ता तो दिखा रही हैं लेकिन इस रास्ते पर चलने से पहले इरा को रिटर्न के साथ रिस्क यानी जोखिम को भी समझना जरूरी है. मेहनत से कमाई और मुश्किल से बचाई रकम को बिना समझे कहीं भी लगा देंगे तो पैसा बढ़ने के बजाए घटने का भी खतरा रहता है.
क्या है P2P लेंडिंग? पी2पी लेंडिंग का मतलब है पीयर टू पीयर लेंडिंग. देश में कई फिनटेक कंपनियां पीयर टू पीयर प्लेटफॉर्म चलाती हैं. ये प्लेटफॉर्म कर्ज देने वाले और कर्ज लेने वालों को जोड़ने का काम करती हैं. यहां पर कोई बैंक या संस्थान कर्ज नहीं देते बल्कि इरा जैसे लोग अपने सरप्लस पैसों को इनके पास जमा करते हैं और उस पैसे से आगे कर्ज दिया जाता है जिनका पैसा कर्ज पर चढ़ता है वो ब्याज कमाते हैं. करीब 10-12 फीसदी का रिटर्न मिलता है. ये रिटर्न बैंक FD और स्मॉल सेविंग स्कीम्स की तुलना में बेहतर है इसलिए लोगों को आकर्षित भी करता है. पी2पी प्लेटफॉर्म को रिजर्व बैंक से P2P-NBFC लाइसेंस लेना पड़ता है. अगर कोई प्लेटफॉर्म P2P लेंडिंग करता है तो उसके पास सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है. आरबीआई (RBI) रजिस्टर्ड एनबीएफसी (NBFC) ही लोन फाइनेंस कर सकते हैं जैसे कि Faircent, Liquiloans रजिस्टर्ड पी2पी-एनबीएफसी हैं. ये Jupiter, PhonePay, Cred जैसे कंज्यूमर फेसिंग फाइनेंस एप्लीकेशन के साथ भागीदारी में काम करती हैं.
कौन लोग लेते हैं कर्ज? पी2पी प्लेटफॉर्म पर इरा की तरह आप अपने पैसों को लोन पर दे सकते हैं और यहां से लोन ले भी सकते हैं. P2P प्लेटफॉर्म उन लोगों के लिए लोन का सहारा बनते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर अच्छा नहीं होता और कहीं से लेन नहीं मिल रहा होता. पी2पी लेंडिंग कंपनी LendenClub की रिपोर्ट बताती है कि कर्ज लेने वाले 87% लोग 40 साल से कम उम्र के होते हैं. यहां से लिए जा रहे लोन का औसत साइज 75,000 रुपए का है. और ये लोन ज्यादातर मेडिकल इमरजेंसी के लिए लिए गए थे.
P2P लेंडिंग से जुड़ने से पहले किन बातों का ध्यान रखें? आप P2P प्लेटफॉर्म पर पैसा जमा करने की सोच रहे हैं या इनसे लोन लेना चाहते हैं कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. रिजर्व बैंक के गाइडलाइंस के मुताबिक इन प्लेटफॉर्म के जरिए दिए गए लोन की अवधि 36 महीने से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. इन साइट्स पर 10-12% जैसे हाई रिटर्न की बात लिखी होती हैं लेकिन जब आप अच्छे से प्लेटफार्म की शर्तों को पढ़ेंगे तो कहीं एक छोटा सा स्टार बता रहा होगा कि ऊपर जो रिटर्न दिलाने की बात कही गई है, उसकी वो कोई गारंटी नहीं लेते.
इन प्लेटफॉर्म से दिक्कत आने पर शिकायत करने की ठोस व्यवस्था नहीं है. इनके इंटरनल डिस्प्यूट रेजोल्यूशन पर शिकायत की जा सकती है लेकिन सुनवाई कितनी परादर्शित से होगी ये सवालों के दायरे में है. आरबीआई के नियमों के तहत P2P प्लेटफॉर्म्स पर एक व्यक्ति 50 लाख रुपए से ज्यादा का लेनदेन नहीं कर सकता है और एक बार में ये राशि 50,000 रुपए से ज्यादा की नहीं होनी चाहिए.
ईएमआई से चूकने पर जुर्माना P2P प्लेटफॉर्म से लोन लेने वालों को पता होना चाहिए कि लोन की किस्त चूक जाने पर कई चार्जेज देने पड़ते हैं जिसमें टूटी हुई ईएमआई पेनाल्टी के अलावा प्रोसेसिंग फीस भी शामिल हैं. जैसे कि Faircent EMI चूकने पर 500 रुपए का शुल्क लेती है, फिर 500 रुपए की प्रोसेसिंग फीस, जो 3 लाख से ज्यादा के लोन के लिए ज्यादा हो सकती है. ऐसे ही चार्ज दूसरे P2P प्लेटफॉर्म भी लेते हैं. इन प्लेटफॉर्म से लिए जाने वाले लोन को अगर कोई पहले चुकाना चाहे तो प्रीपेंमेट चार्ज वसूला जाता है. लोन की किस्त की राशि को बढ़ाकर जल्दी लोन का निपटारा करने की भी अनुमति नहीं होती है.
मनी9 की सलाह पी2पी लेंडिंग प्लेटफॉर्म को कई बार निवेश के तौर पर भी पेश किया जाता है लेकिन सावधान रहिए. ये कोई निवेश नहीं है बल्कि लोन लेने और देने का जरिया है. न ये रिटर्न की गारंटी दे सकते हैं न ही जमा किए गए पैसे पर सुरक्षा की गारंटी दे सकते हैं. इसलिए अपने पैसों को लेकर जागते रहिए और सतर्क रहिए.
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