बीते 5 वित्त वर्ष में कमर्शियल बैंक विल्फुल डिफाल्टर्स का करीब 10.50 लाख करोड़ रुपए राइट ऑफ कर चुके हैं. संसद में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड़ ने कहा है कि बीते 5 वित्त वर्ष में कमर्शियल बैंकों ने विल्फुल डिफाल्टर्स का 10,57,326 करोड़ रुपए राइट ऑफ किया है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने बताया है कि 31 मार्च तक कमर्शियल बैंकों की टॉप 50 विल्फुल डिफाल्टर्स के पास 87,295 करोड़ रुपए की रकम थी.
शेड्यूल कमर्शियल बैंकों में 12 सरकारी बैंक, 22 निजी बैंक, 12 स्माल फाइनेंस बैंक, 4 पेमेंट बैंक, 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और 45 विदेशी बैंक शामिल हैं. बता दें कि आरबीआई ने मई में आईबीए को सलाह दी थी कि बैंक विल्फुल डिफाल्टर्स के साथ उनके विरुद्ध चल रही आपराधिक कार्यवाही के पूर्वाग्रह के बगैर समझौता निपटान कर सकता है और समझौता निपटान के सभी मामलों की जांच बैंकों की प्रबंधन समिति या बोर्ड के द्वारा की जानी चाहिए. भागवत कराड़ का कहना है कि बैंकों ने ऐसे उधारकर्ताओं जिन्होंने जानबूझकर लिए गए कर्ज को वापस नहीं लौटाया है उन्हें विल्फुल डिफाल्टर्स की कैटेगरी में डाला गया है.
गौरतलब है कि आरबीआई की ओर 8 जून को जारी सर्कुलर के मुताबिक विनियमित संस्थाएं उधारकर्ताओं के विरुद्ध चल रही आपराधिक कार्यवाही के पूर्वाग्रह के बगैर फ्राड अथवा विल्फुल डिफाल्टर्स के रूप में वर्गीकृत खातों को समझौता निपटान या तकनीकी रूप से बट्टे खाते में डालने का कार्य कर सकती हैं. हालांकि सभी प्रस्तावों को बोर्ड के द्वारा मंजूरी की जरूरत होती है.