Contactless Cards: कोरोना काल में लोग अब चीजों को छूने से बच रहे हैं. कोरोना के संक्रमण से खुद को बचाने के लिए ये जरूरी भी है. ऐसे में अब बैंक भी कॉन्टैक्टलेस (Contactless) डेबिट या क्रेडिट कार्ड की तकनीक का उपयोग कर रहे हैं. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक अब इस तकनीक को आगे भी बढ़ा रहे हैं. हालांकि ये कार्ड सुविधाजनक भी हैं, लेकिन इनके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. ऐसे में इसके दोनों पहलुओं को जाने बिना जल्दबाजी में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
चिप आधारित कार्ड को कॉन्टैक्टलेस कार्ड बनवा सकते हैं
सबसे पहली बात कि अगर आपके पास कॉन्टैक्टलेस (Contactless) कार्ड नहीं भी है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. आप अपने चिप आधारित कार्ड को कॉन्टैक्टलेस (Contactless) कार्ड में बदल सकते हैं. इसके लिए आपको बस बैंक द्वारा दिए गए नंबर पर एक एसएमएस भेजना होगा. हालांकि, कॉन्टैक्टलेस कार्ड के कई फायदों के बावजूद इसका गलत इस्तेमाल भी हो सकता है. इसके लिए सावधानी रखना बेहद जरूरी है.
केवल कॉन्टैक्टलेस केवल 5 ट्रांजैक्शंस की ही इजाजत
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में इन कार्डों की लेनदेन की सीमा को 2,000 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये तक कर दिया था. हालांकि, नियमों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति लगातार सिर्फ 5 कॉन्टैक्टलेस लेनदेन ही कर सकता है. इसके बाद छठा ट्रांजेक्शन पारंपरिक तरीके से मशीन में पिन डालकर ही होना चाहिए. इस पारंपरिक लेनदेन के बाद कोई फिर से लगातार 5 कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन कर सकता है.
खर्च की सीमा बढ़ने से खतरा भी बढ़ा
अब कॉन्टैक्टलेस कार्ड की सीमा को बढ़ाकर 5,000 रुपये करने के बाद इसमें ज्यादा रुपयों को खोने का जोखिम भी बना हुआ है. हालांकि, अगर कोई 5 हजार से ज्यादा रुपयों की खरीदारी करता है तो उसे हर बार पिन भरने की जरूरत होगी.
हालांकि, कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन मोड का एक फायदा ये भी है कि अगर कोई व्यक्ति पिन भूल भी जाए तो भी वह 5 हजार रुपये से कम का सामान खरीद सकता है.
सावधानी है जरूरी
लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कार्ड को सुरक्षित रखें. क्योंकि इस काई के प्रमाणीकरण की जरूरत नहीं है, तो ऐसे में आप इसके चोरी होने का पता लगाने और इसके बंद करने से पहले अपने रुपयों को खो सकते हैं.
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