NSC: वित्त वर्ष खत्म होने के करीब है और कई लोग टैक्स बचत वाले विकल्पों में निवेश करने का प्लान कर रहे होंगे. पर निवेशकों के लिए ये मुश्किल वाली स्थिति है. एक तरफ शेयर बाजार अपने उच्चतम स्तर पर है जिससे टैक्स बचत वाले फंड्स – इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में निवेश करना जोखिम भरा है. वहीं दूसरी तरफ टैक्स सेविंग बैंक Fixed Deposit पर कम ब्याज दर मिल रहा है.
कोविड-19 महामारी की वजह से आर्थिक मंदी आने से निवेशक ऐसे विकल्पों की तलाश में भी हैं जिनमें लॉन्ग टर्म कमिटमेंट की जरूरत ना हो. इसलिए इंश्योरेंस पॉलिसी, पब्लिक प्रोविडेंट फंड की तरफ रुझान कम रह सकता है. ऐसी परिस्थिती में नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) सही विकल्प के तौर पर उभरा है जो निवेशकों की जरूरत को पूरा करता है.
पूंजी की सुरक्षा इकोनॉमी को अभी भी कोविड-19 के असर से बाहर आने में समय लगेगा. ये क्रेडिट रिस्क लेने के लिए सही समय नहीं है. चूंकि NSE इंडिया पोस्ट जारी करता है, इसमें सरकारी गारंटी होती है. आपकी पूंजी पूरी तरह सुरक्षित है. 5 साल बाद ये रकम आपके पास जरूर वापस आएगी.
ऊंचे रिटर्न NSC पर 6.8 फीसदी का ब्याज मिलता है जो सालाना कंपाउंड होता है और मैच्योरिटी पर मिलता है. वेल्थ लैडर डायरेक्ट के फाउंडर एस श्रीधरन का कहना है, “जो निवेशक रिस्क नहीं लेना चाहते वो NSC में निवेश कर सकते हैं. फिलहाल NSC पर मिलने वाला रिटर्न सरकारी और निजी बैंकों के टैक्स सेविंग Fixed Deposit से बेहतर है. सरकारी बैंक टैक्स सेविंग Fixed Deposit पर 5.1 फीसदी से 5.4 फीसदी के बीच सालाना ब्याज दे रहे हैं, जबकि निजी बैंकों के टैक्स सेविंग FD पर 5.5 फीसदी से 5.7 फीसदी की दर से ब्याज है. स्मॉल फाइनेंस बैंक जहां रिस्क तुलनात्मक तौर पर ज्यादा है वहां सेविंग FD पर 6.5 फीसदी से 7.25 फीसदी का ब्याज मिल रहा है.”
वहीं सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम जो हर तिमाही 7.4 फीसदी का ब्याज देती हैं उन्हें छोड़कर कोई भी 5 साल का निवेश विकल्प 6.8 फीसदी जितना रिटर्न वो भी सरकारी गारंटी के साथ नहीं दे रहा.
NSC पर लोन
टैक्स बचत के अन्य विकल्पों जैसे ही NSC को 5 साल की अवधि से पहले नहीं निकाल सकते. हालांकि, निवेशक इसकी रकम पर बैंक या किसी और लेंडर के पास गिरवी रखकर कर्ज ले सकते हैं. क्योंकि ये Fixed Income विकल्प है और सरकारी भरोसा भी है इसलिए अधिकतर बैंक और NBFCs इसपर कर्ज दे देती हैं. टैक्स और निवेश एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है, “आप NSE को मैच्योरिटी से पहले नहीं निकाल सकते लेकिन उसके 85 फीसदी वैल्यू तक का कर्ज ले सकते हैं.”
टैक्स से जुड़े फायदे एक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन मिलती है. इस वजह से इसपर मिलने वाला रिटर्न और आकर्षक हो जाता है. साथ ही NSC से मिले ब्याज को आपकी आय में जोड़कर टैक्स लगता है लेकिन आप इसके ब्याज पर सेक्शन 80C के तहत छूट हासिल कर सकते हैं. बलवंत जैन के मुताबिक, “आपके निवेश पर सेक्शन 80C के तहत अन्य विकल्पों के साथ 1.5 लाख रुपये की छूट है. पहले 4 साल में मिलने वाले ब्याज पर भी सेक्शन 80C के तहत छूट है.”
जो निवेशक शांति चाहते हैं और अच्छे रिटर्न के साथ टैक्स छूट भी चाहते हैं उनके लिए NSC एक आकर्षक निवेश विकल्प है.
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