Household Savings: महामारी की पहली लहर ने भारत में परिवारों की वित्तीय सेहत और बचत पर काफी असर डाला है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में परिवारों की सेविंग्स में कमी आई है. अक्टूबर से दिसंबर 2020 के बीच भारत में परिवारों की सेविंग्स कुल GDP की 8.2 फीसदी रही है. महामारी आने के बाद लगातार दूसरी तिमाही इसमें कमी देखने को मिली. RBI के डेटा के मुताबिक, परिवारों के बैंक डिपॉजिट में भी कमी आई है. जहां दूसरी तिमाही में ये GDP की 7.7 फीसदी थी, वहीं, तीसरी तिमाही में ये घटकर 3 फीसदी रह गई.
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाउसहोल्ड फाइनेंशियल सेविंग्स (Household Financial Savings) Q3 2020-21 की रिपोर्ट में म्यूचुअल फंड निवेश से लेकर कर्ज और प्रॉविडेंट फंड में निवेश के आंकड़े जारी किए हैं.
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों में सितंबर 2020 में 3.62 लाख करोड़ का डिपॉजिट आया था, जबकि तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच में ये डिपॉजिट सिर्फ 1.65 लाख करोड़ रुपये रहा.
रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2020 के अंत तक 72,565 करोड़ रुपये का निवेश आया जिसमें से 65,312 करोड़ रुपये का निवेश म्यूचुअल फंड में आया है. ये दिखाता है कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच निवेश में बढ़त दर्ज की गई है. दूसरी तिमाही में म्यूचुअल फंड में 11,909 करोड़ रुपये का निवेश ही आया था. वहीं, पहली तिमाही में ये 66,195 करोड़ रुपये पर था.
PPF को छोड़कर अन्य स्मॉल सेविंग्स में वित्त वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में 75,879 करोड़ रुपये का निवेश रहा है.
प्रॉविडेंट फंड और पेंशन फंड में भी तीसरी तिमाही में कुल 1.22 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया.
RBI ने कहा है कि बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों से कर्ज बढ़ा है लेकिन नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों से कम कर्ज लिए गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, जीडीपी और परिवारों के ऊपर कर्ज का अनुपात भी बढ़ा है. दरअसल मार्च 2019 से ही इसमें लगातार बढ़त देखने को मिल रही है. दिसंबर 2020 के अंत तक ये बढ़कर 37.9 फीसदी पर पहुंच गई है जबकि सितंबर 2020 के अंत तक ये 37.1 फीसदी थी.
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