कोरोना (Corona) की तीसरी लहर से पहले बच्चों के बचाव की दिशा में केंद्र सरकार ने कार्य करना शुरू कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बच्चों को कोविड (Corona) के प्रकोप से बचाने के लिए एक नेशनल ग्रुप बनाया गया है, जिसके विशेषज्ञों ने गाइडलाइन बनाई है और उन्हें जल्द ही जारी किया जाएगा. सरकार का कहना है कि बच्चों के लिए पूरा इंतजाम किया जा रहा है.
इस बीच प्रसार भारती के कोरोना (Corona) जागरूकता विशेष कार्यक्रम में एम्स नई दिल्ली के डॉ. राकेश गर्ग ने बच्चों में कोविड होने, लक्षण और सावधानी को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारी दी.
बच्चों में कोरोना (Corona) के लक्षण को लेकर डॉ. राकेश गर्ग ने बताया कि कोरोना की पहली लहर में बच्चों में केस काफी कम आए, जबकि सेकेंड वेव में एडल्ट ज्यादा प्रभावित हुए. हालांकि पहली वेव के मुकाबले कुछ केस बच्चों में भी आए हैं. जहां तक लक्षण की बात है, उनमें भी बुखार , खांसी , डायरिया , पेट में दर्द और कमजोरी जैसे लक्षण पाए गए हैं.
सकारात्मक पहलू पर गौर करें, तो ज्यादातर बच्चों में माइल्ड लक्षण ही रहे. हालांकि कुछ बच्चों में संक्रमण ज्यादा रहा, ऐसे बच्चों की संख्या बहुत कम है. बच्चों के लक्षण पर नजर रखना बहुत जरूरी है. अगर तापमान ज्यादा है, खांसी ज्यादा है, सांस लेने में समस्या आ रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. हां, इस बात का ध्यान रखें कि खुद से बच्चों को कोई दवा न दें क्योंकि जो एडल्ट को दे रहे हैं, जरूरी नहीं है कि बच्चों के लिए सही हो.
इस दौरान उन्होंने बताया कि संक्रमित होने पर बच्चों में जब एक्सपोजर होता है, तो 3-4 दिन बाद उनमें लक्षण आने शुरू होते हैं, इसे इनक्यूबेशन पीरियड कहते हैं. ऐसा मान कर चलते हैं कि 5-6 दिन में कुछ लक्षण नजर आएंगे. इसके 4-5 दिन तक लक्षण बढ़ भी सकते हैं और कम भी हो सकते हैं या बने रह सकते हैं. इस दौरान ध्यान देना है कि बच्चा एक मिनट में कितनी बार सांस लेता है. बच्चे को रोज देख रहे हैं तो पता चल जाता है कि वह सामान्य से धीरे सांस ले रहा है या तेज ले रहा है.
बच्चे को दस्त लग जाए, चेहरे पर रिंकल्स आ जाएं, डिहाइड्रेशन शुरू हो जाना, आंख अंदर को जाने लगे, ठीक से खाना न खाना, बात-चीत न करे. मॉनिटरिंग के दौरान कुछ भी बदलाव आ रहे हैं, जो बच्चे को परेशान कर रहे हैं, तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
डॉ गर्ग ने बताया कि कोरोना वायरस का संक्रमण एक से दूसरे तक काफी तेजी से फैलता है, फिर वो चाहे बच्चे से हो या बड़े से. कई बार बच्चों में लक्षण बहुत जल्दी नजर नहीं आते हैं, ऐसे में भी वायरस से परिवार के दूसरे सदस्य संक्रमित हो सकते हैं. इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर सिखाएं. अगर कोई लक्षण आ रहे हैं तो नजरअंदाज न करें, तुरंत कोविड टेस्ट कराएं। साथ ही बच्चों को मोटिवेट करते रहें, ताकि इंटरनल इम्यूनिटी बूस्ट होती रहे और वो जल्दी रिकवर कर पाएं.
(प्रसार भारती न्यूज सर्विस के इनपुट के साथ)
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