देशभर में जहां कोरोना की दूसरी लहर जारी है वहीं तीसरी लहर से बचने के लिए आये दिन नए कदम उठाए जा रहे हैं. इसी संदर्भ में देश मे चौथा सीरो सर्वे शुरू होने वाला है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (ICMR) चौथा सीरो-सर्वे करने वाला है. बता दें, इससे पहले तीन बार सीरो सर्वे (Survey) किए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि हम चौथा सीरो सर्वे (Survey) करने के लिए तैयार हैं.
नीति आयोग के सदस्य डॉ वी.के पॉल कहते हैं कि नेशनल सीरो सर्वे की पूरी तैयारी हो गयी है और इसी महीने में आईसीएमआर जो सीरो सर्वे करते आये हैं, वो करेंगे. इसके साथ उन्होंने आगे कहा, “अगर हम चाहते हैं कि ये पेंडेमिक बड़े स्वरूप में न आये तो इसके लिए हमें राज्यों को भी सीरो सर्वे करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा क्योंकि फैसले राज्यों, उपराज्यों और जिलों के लेवल पर होने चाहिए. जहां हॉटस्पॉट हुआ है हमें उसे ही फोकस करना है ताकि संक्रमण वहीं के वहीं रुक जाए.”
सीरो सर्वे या सीरोलॉजिकल सर्वे हमें यह बताता है कि उस क्षेत्र में कितना कोरोना वायरस फैला हुआ है. कई बार ऐसा होता है कि लोगों को कोरोना का संक्रमण होता है लेकिन उनके शरीर में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. इसका मतलब है कि वह व्यक्ति कोरोना से संक्रमित तो हुआ है लेकिन वह बीमार नहीं पड़ा. जितने ज्यादा लोगों में एंटीबॉडीज होंगी, उतना ही संक्रमण का खतरा कम होगा. यह संक्रमण की चेन बनने से रोकेगा. इसीलिए कोरोना महामारी से बचाव में सीरो सर्वे की भूमिका अहम हो जाती है.
सीरो सर्वे में व्यक्ति का ब्लड लेकर उससे सेल्स और सीरम को अलग किया जाता है। सीरम में कोरोना वायरस के खिलाफ जितनी एंटीबॉडी बनी हैं उनकी जांच की जाती है. आईसीएमआर के डायरेक्टर डॉ बलराम भार्गव बताते हैं कि एंटीबॉडीज दो तरह की होती हैं, पहली इम्मयूनोग्लोबुलीन एम (IgM) और दूसरी इम्मयूनोग्लोबुलीन जी (IgG). आईजीजी एंटीबॉडी लंबे समय तक हमारे शरीर में रहती है और एक तरह से वायरस के खिलाफ मेमोरी सेल्स का काम भी करती है. सीरो सर्वे में आईजीजी एंटीबॉडीज टेस्ट की जाती हैं. कुछ समय बाद जब भी कोरोना वायरस शरीर पर अटैक करता है तो आईजीजी एंटीबॉडी उसे पहचानकर खत्म कर देती है और इंसान वायरस संक्रमण से बच जाता है.
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‘हर्ड’ यानि झुंड. जब बहुत सारी जनसंख्या में किसी वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन जाती हैं तो उसे हम हर्ड इम्यूनिटी कहते हैं. हर्ड इम्यूनिटी बनने से सिर्फ वही लोग संक्रमित होते हैं जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है. सीरो सर्वे की मदद से हम यह पता लगा सकते हैं कि अभी तक कितनी जनसंख्या में हर्ड इम्यूनिटी बन पाई है. सीरो सर्वे में आये रिजल्ट के आधार पर सरकार कोरोना के खिलाफ रणनीति बना सकती है और आने वाली चुनौतियों का सामना किया जा सकता है.
दरअसल, तीसरा सीरो सर्वे देश के 21 राज्यों के 70 जिलों के 700 गांवों में किया गया था. वहीं, पहला और दूसरा सीरो सर्वे भी इन्हीं ही क्षेत्रों में कराया गया. इसमें 28,589 लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए और कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडी की जांच की गई. बता दें, पिछले सीरो सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक देश में 18 वर्ष के ऊपर के हर पांच में से एक भारतीय कोरोना वायरस संक्रमण का शिकार हुआ है. इसमें 22.7 फीसदी महिलाओं के मुकाबले में 20.3 पुरुषों में ज्यादा कोरोना वायरस एंटीबॉडीज देखी गई थी. इसके साथ ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी इलाकों में संक्रमण ज्यादा पाया गया. ग्रामीण इलाकों में केवल 19.1 फीसद लोग ही संक्रमित मिले, जबकि शहरी इलाकों में 31.7 फीसद लोग संक्रमित पाए गए.
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देश के विभिन्न राज्य भी अपने-अपने स्तर पर सीरो सर्वे कर रहे हैं. राजधानी दिल्ली में छठा सीरो सर्वे किया जा चुका है। जल्द ही उसके परिणाम भी जारी हो सकते हैं. यह सर्वे दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की निगरानी में हुआ था। वहीं उत्तर प्रदेश में भी कोरोना से लड़ने के लिए सीरो सर्वे की शुरुआत हो चुकी है. जून के अंत तक सीरो सर्वे की रिपोर्ट राज्य सरकार को दे दी जाएगी जिसके आधार पर ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी. इसके साथ देश के अन्य राज्यों में भी सीरो सर्वे शुरू किए जा चुके हैं.
(PBNS)
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