भारत में Sputnik V वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है. लेकिन सवाल यह है कि यह कितनी असरदार होगी?. लोगों की जेब पर कितना भार डालेगी?. देसी वैक्सीन से कितना अलग होगी?. ये सारे सवाल लोगों के मन में उमड़ रहे होंगे. आज हम इन सारे सवालों का जवाब इसमें देना चाहेंगे.
इस रूसी वैक्सीन को रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RIDF) की मदद से गामेलिया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने तैयार किया है. यह वैक्सीन भारत में इसका ट्रायल कर रही डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज ने पिछले हफ्ते इसके इमेरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मांगी थी. देसी वैक्सीन Covaxin और सीरम इंस्टिट्यूट द्वारा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्च पर तैयार की गई Covishield के बाद देश में मंजूरी पाने वाली यह तीसरी वैक्सीन हो गई है.
देश में इसकी 850 मिलियन डोज तैयार की जाएगी रशियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDIF) के साथ डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज सितंबर 2020 में क्लिनिकल ट्रायल किया था. वैक्सीन अंतिम चरणों के ट्रायल से गुजर रही है. इसकी जरूरत और प्रभावकारिता को देखते हुए सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी विचार कर रही थी. सोमवार को इसे मंजूरी दे दी गई. बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच इस वैक्सीन को लेकर बड़ी बात यह है कि देश में इसकी 850 मिलियन डोज तैयार की जाएगी.
रूस ने 92 फीसदी सफल होने का दावा किया था रुसी वैक्सीन Sputnik V के फेज 3 ट्रायल के अंतरिम नतीजों में इसकी एफेकसी 91.6% पाई गई है. रूस ने भी इसके 92 फीसदी सफल होने का दावा किया था. हालांकि तब इसका पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं था और इसलिए भारत में इसकी मंजूरी में देर हुई. अभी देश में भारत बायोटेक की Covaxin और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की Covishield वैक्सीन लगाई जा रही है. तीसरे चरण के ट्रायल में दोनों की एफेकेसी क्रमश: 81 फीसदी और 62 फीसदी दर्ज की गई थी. हालांकि, बाद में डोज के मुताबिक एफेकसी बढ़ गई.
2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच स्टोर किया जा सकता है Sputnik V को विकसित करनेवाली गामेलया इंस्टिट्यूट के मुताबिक, इस वैक्सीन का खास बात यह है कि इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच स्टोर किया जा सकता है. बता दें कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन को स्टोर करना भी आसान और सुविधाजनक है. कोवैक्सिन को भी 2 से 8 डिग्री पर स्टोर कर सकते हैं और कोविशील्ड के लिए भी शून्य से कम तापमान जरूरी नहीं है.
वैक्सीन की 2 डोज जरूरी होगी डोज की बात करें तो अबतक की अपडेट के मुताबिक, स्पुतकिन वी वैक्सीन की 2 डोज जरूरी होगी. बता दें कि देश में 4-8 हफ्तों के अंतराल पर Covishield की दो डोज दी जा रही है, जबकि Covaxin की दो डोज भी 4-6 हफ्तों के अंतराल पर दी जा रही है.
Sputnik V की कीमत भारत में क्या होगी, इसको लेकर अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है. हालांकि विदेशों में इस टीके की कीमत 10 डॉलर प्रति डोज से कम है. चूंकि RDIF का शुरुआती प्लान इसे रूस से आयात करने का है. ऐसे में इसकी कीमत थोड़ी ज्यादा हो सकती है. एक बार भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाए तो यह कीमतें काफी हद तक कम हो जाएंगी. केवल डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज से 10 करोड़ डोज बनाने की डील हुई है, जबकि हेटरो बायोफार्मा, ग्लैंड फार्मा, स्टेलिस बायोफार्मा, विक्ट्री बायोटेक कंपनियों को मिलाकर RDIF ने करीब 85 करोड़ डोज वैक्सीन प्रॉडक्शन की डील कर रखी है.
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