मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने निजी अस्पतालों को सरकार को कोविड-19 टीके (COVID-19 Vaccines) की खुराकों को वापस करने की अनुमति दी है और मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारियों को लौटाए गए स्टॉक को सत्यापित करने और धनराशि वापसी की प्रक्रिया चलाने का निर्देश दिया है.
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति सुजॉय पॉल की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार की नीति में बदलाव को देखते हुए अब टीकाकरण मुफ्त किया जाना है.
उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को अपने आदेश में कहा था, ‘‘निर्दिष्ट अस्पताल (आवेदक निजी अस्पताल) जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन और नरसिंहपुर के संबंधित सीएमएचओ को शीशियों/टीके की खुराक (कोरोना वायरस रोधी टीका) लौटा सकते हैं. सीएमएचओ इसे विधिवत सत्यापित करेगा और इसके बदले भुगतान की गई राशि एक महीने की अवधि के भीतर संबंधित अस्पताल को वापस कर दी जाएगी.’’
न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ और नर्सिंग होम एसोसिएशन द्वारा दायर आवेदन के अनुसार, जबलपुर के सात निजी अस्पतालों के साथ-साथ ग्वालियर, उज्जैन और नरसिंहपुर के एक-एक निजी अस्पताल ने टीकाकरण नीति में बदलाव के बाद अपने पास बची हुई शीशियों / टीके की खुराकों को वापस करने की इच्छा दिखाई है.
अदालत ने कोविड-19 महामारी से संबंधित मुद्दों और रोगियों को प्रदान किए जाने वाले उपचार पर स्वत: संज्ञान सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किया.
Published - June 11, 2021, 06:43 IST
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।