भारत में बढ़ते कोरोना संकट की वजह से बढ़ी मेडिकल स्टाफ (Medical Staff) की जरूरत को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई फैसलों को मंजूरी दे दी है. इसमें मेडिकल इंटर्न से लेकर MBBS के अंतिम साल के छात्रों और बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई किए छात्रों को कोरोना के मरीजों की देखभाल से लेकर फोन पर कंसल्टेशन के लिए नियुक्त करने को मंजूरी दी गई है.
दरअसल कई स्वास्थ्य एक्सपर्ट और स्वास्थ्य मंत्री ने भी ये सुझाव दिया था कि बढ़ते मामलों के मद्देनजर नर्सों और डॉक्टरों की कमी हो रही है और मेडिकल स्टाफ की संख्या बढ़ाने के लिए फाइनल ईयर के छात्रों की मदद ली जा सकती है.
– डॉक्टरों के पोस्ट ग्रैजुएशन के लिए होने वाला एंट्रेस एग्जाम NEET-PG कम से कम 4 महीनों के लिए टाला जा रहा है. ऐसा करने से जो छात्र MBBS कर चुके हैं उन्हें कोविड ड्यूटी पर लगाया जा सकेगा. ये परीक्षा 31 अगस्त 2021 से पहले नहीं होगी और छात्रों को कम से कम 1 महीने का समय मिलेगा ताकि वे परीक्षा की तैयारी पूरी कर सकें.
– मेडिकल कर्मचारी (Medical Staff) जो 100 दिन की कोविड ड्यूटी पूरी करेंगे उन्हें आगे के सरकारी नियुक्तियों में प्राथमिकता दी जाएगी
– कोविड मैनेजमेंट ड्यूटी के लिए सीनियर्स की निगरानी में मेडिकल इंटर्न्स की नियुक्ति की जाएगी
– MBBS के ऐसे छात्र जो पढ़ाई के आखिरी साल में हैं उन्हें टेली-कंसल्टेशन और हल्के लक्षण वाले कोरोना मामलों की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी जा सकती है. हालांकि इन्हें भी फैकल्टी की निगरानी में ही काम दिया जाएगा.
– बीएससी या जीएनएम कोर्स पूरा कर चुके नर्स को भी फुल टाइम कोविड नर्सिंग ड्यूटी पर लगाया जाएगा. ये सीनियर नर्स या डॉक्टरों की निगरानी में रहेंगे.
– इन सभी मेडिकल छात्रों औरकर्मचारियों को वैक्सीन लगाई जाएगी. साथ ही इन्हें सरकारी हेल्थ कर्मियों के लिए उपलब्ध इंश्योरेंस स्कीम में भी जोड़ा जाएगा.
– ऐसे स्वास्थ्य कर्मचारी जो 100 दिन की कोविड ड्यूटी पूरी करते हैं उन्हें प्रधानमंत्री से कोविड नेशनल सर्विस सम्मान से नवाजा जाएगा.
पश्चिम बंगाल में MBBS के फाइनल ईयर के छात्र और कोरोना मरीजों की मदद में कार्यरत एक छात्र ने बताया कि केंद्र सरकार के फैसले के पहले भी छात्र अपनी ओर से कोरोना की रोकथाम में योगदान दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके अस्पताल में ‘डॉक्टर्स फॉर अ कॉज़’ नाम से छात्र संस्था बनाई गई है जो कोरोना को मात देने के लिए लोगों में जागरुकता की ओर काम कर रही है और कोविड पर सेमिनार भी आयोजित कर रही है.
NEET-PG की परीक्षा की तैयारी कर रही पंजाब की एक डॉक्टर ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि अभी भी वे सरकारी सेंटर्स पर ड्यूटी में लगी हुई हैं लेकिन आगे कोविड ड्यूटी पर उन्हें जाना पड़ सकता है. उनका कहना है कि ऐसी ड्यूटी लगने पर पर्सनल प्रोटेक्टिव गियर और PPE किट और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जरूरी सभी सुरक्षा गियर को मुहैया कराना चाहिए.
हैदराबाद में अब तक प्रैक्टिस कर रहे फिजियोथेरेपिस्ट डॉ अभनंदन दास का कहना है कि कई अस्पताल फिजियोथेरेपी के एक्सपर्ट्स को भी कोविड ड्यूटी में लगा रहे हैं. वे एक निजी अस्पताल में कार्यरत थे जहां डॉक्टरों की पेमेंट को लेकर कई दिक्कतें हैं जिससे डॉक्टरों का मनोबल टूटता है. वहीं उन्होंने एक और मुद्दा बताया कि कई बार सीनियर्स जूनियर डॉक्टरों की सेहत से जुड़ी दिक्कतों पर तवज्जो नहीं देते जैसे न्यूमोथोरैक्स का मरीज होने के बावजूद उन्हें कोविड ड्यूटी में रियायत नहीं दी जा रही थी. ऐसी दिक्कतें नर्स और मेडिकल स्टाफ की जान को खतरा तो हैं ही साथ ही उनके काम करने के उत्साह को भी चोट पहुंचाती हैं.
भारत में फिलहाल 2.20 लाख छात्र ऐसे हैं जो जनरल नर्सिंग या मिडफाइफ का 3 साल का कोर्स पूरा कर चुके हैं या फिर नर्सिंग स्कूलों और कॉलेजों में बीएससी कोर्स के चौथे साल में है. अगले कुछ हफ्तों में इन छात्रों की परीक्षाएं आने वाली हैं.
देश के दिग्गज सर्जन और नारायण हेल्थ के चेयरमैन और फाउंडर डॉ देवी प्रसाद शेट्टी के मुताबिक भारत में करीब 1.30 लाख ऐसे डॉक्टर हैं जो पोस्ट ग्रैजुएशन के लिए NEET की तैयारी कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर ऐसे 25,000 डॉक्टर हैं जिन्होंने अपनी पोस्ट ग्रैजुएशन ट्रेनिंग पूरी कर ली है लेकिन अभी उनकी परीक्षाएं नहीं हुई हैं. डॉ शेट्टी ने हाल ही में अपने एक ऑनलाइन संबोधन में ऐसे छात्रों को कोरोना के मरीजों की देखभाल के लिए नियुक्त करने का सुझाव दिया था.
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