कोरोना (Covid-19) के इस दौर में अचानक ऑक्सीजन (Oxygen) की बढ़ी मांग ने एक समय सरकार और जनता की चिंता को बढ़ा दिया था लेकिन अब देश में हालात फिर से बदलते नजर आ रहें हैं. दरअसल, जितनी तेजी से देश में ऑक्सीजन (Oxygen) को लेकर हालात बिगड़े थे, उतनी ही तेजी से सरकार ने इसे सुधारने का काम भी किया. जी हां, देश में ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी को पूरा करने में दरअसल, सरकार ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी.
इसके लिए सरकार द्वारा न केवल विदेश से ऑक्सीजन (Oxygen) व जरूरी चिकित्सीय उपकरणों की आपूर्ति की गई बल्कि देश में भी निरंतर प्रयास जारी रखे गए. इसी का परिणाम है कि अब भारत इस मुश्किल घड़ी से उबर पाने में सक्षम होता नजर आ रहा है। इसी कड़ी में अब एक और नई खोज हुई है.
बताना चाहेंगे, भारतीय सेना के इंजीनियरों ने ऑक्सीजन (Oxygen) गैस को तरल ऑक्सीजन में कुशलतापूर्वक रूपांतरित करने का समाधान खोजा है, जिससे अब बड़ी मुश्किल हल होने वाली है. दरअसल, अभी तक तरल ऑक्सीजन गैस को मेडिकल ऑक्सीजन में बदलकर कोविड मरीजों के बेड तक पहुंचाना अस्पतालों के लिए बड़ी चुनौती थी.
इसलिए परीक्षण के दौरान क्रायोजेनिक टैंकों में ऑक्सीजन को तरल रूप में स्थानांतरित किया गया. लेकिन भारतीय सेना की इस सफलता के बाद अब तरल ऑक्सीजन को भी मेडिकल ऑक्सीजन में बदलकर आसानी से अस्पतालों में कोविड मरीजों के बेड तक पहुंचाया जा सकेगा.
मेजर जनरल संजय रिहानी के नेतृत्व में भारतीय सेना के इंजीनियरों की टीम ने इस चुनौती का समाधान खोजने की पहल की है. गैस सिलेंडरों के उपयोग के बिना ऑक्सीजन उपलब्ध करने के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया गया. सेना के इंजीनियर सात दिनों से भी अधिक समय तक सीएसआईआर और डीआरडीओ के साथ सीधे संपर्क में रहे.
इस दौरान वैपोराइजर्स, पीआरवी और तरल ऑक्सीजन सिलेंडरों का उपयोग करते हुए समाधान खोजा गया ताकि कोविड रोगी के बिस्तर पर अपेक्षित दबाव और तापमान पर तरल ऑक्सीजन को ऑक्सीजन गैस में रूपांतरित करके पहुंचाई जा सके. इसके लिए टीम ने 250 लीटर के स्वतः दबाव डाल सकने वाले तरल ऑक्सीजन सिलेंडर को विशेष रूप से डिजाइन किए गए वैपोराजर को अपेक्षित लीक प्रूफ पाइपलाइन और प्रेशर वाल्व के साथ जोड़ा गया.
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि 40 कोविड बिस्तरों के लिए दो से तीन दिन की अवधि तक ऑक्सीजन गैस प्रदान करने में सक्षम दो तरल सिलेंडर वाले प्रोटोटाइप को दिल्ली कैंट के बेस अस्पताल में चालू किया गया है. टीम ने अस्पतालों में रोगियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मोबाइल संस्करण का भी परीक्षण किया है.
यह प्रणाली सस्ती और उपयोग में सुरक्षित है क्योंकि यह पाइपलाइन या सिलेंडरों में उच्च गैस दबाव को दूर करती है. इसे संचालित करने के लिए बिजली की आपूर्ति की कोई आवश्यकता नहीं होती है. यह प्रणाली अनेक स्थानों पर लगाने के लिए शीघ्रतापूर्वक तैयार की जा सकती है.
कोविड की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट के समय सेना के इंजीनियरों की यह खोज जटिल समस्याओं के सरल और व्यावहारिक समाधान लाने में अभिनव समाधानों को बढ़ावा देने के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण है. भारतीय सेना कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में राष्ट्र के साथ दृढ़तापूर्वक खड़ी है.
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