Covid-19: कोरोना के नए मामलों में लगातार कमी आ रही है लेकिन महामारी की अगली लहर में बच्चों में संक्रमण को लेकर चिंताएं हैं. इसपर जानकारी देते हुए नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल का कहना है कि सरकार ने अपनी तैयारी तेज कर दी है.
पॉल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा है बच्चों में कोरोना संक्रमण पर फोकस ने ध्यान आकर्षित किया है. बच्चों में अधिकतर मामले एसिंप्टोमैटिक रहे हैं, यानि उनमें कोविड के लक्षण सामने नहीं आ रहे. उनमें अक्सर संक्रमण हो रहा है लेकिन लक्षण कम या ना के बराबर हैं.
डॉ पॉल के मुताबिक बच्चों में संक्रमण के मामले अभी गंभीर नहीं हैं.
लेकिन, इन सब के बावजूद उन्होंने सचेत कराते हुए कहा, “भविष्य में वायरस के व्यवहार और संक्रमण में बदलाव आ सकता है जिससे बच्चों में कोविड-19 का असर बढ़ सकता है. डाटा के मुताबिक अब तक अस्पताल में भर्ती हो रहे बच्चों की संख्या कम है. हम तैयारी को लेकर तेजी ला रहे हैं.”
संवाददातओं से बात करते हुए नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि बच्चों में दो तरह से कोविड-19 का असर देखने को मिल रहा है. पहला, बच्चों में निमोनिया जैसे लक्षण दिख रहे हैं. दूसरा, जो बच्चे कोविड-19 संक्रमण से ठीक हो गए हैं उनमें से कुछ मामलों में मल्टी-इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम पाया गया है.
29 मई को कर्नाटक ने हेल्थ डायरेक्टर ओम प्रकाश पाटिल ने 17 एक्सपर्ट्स और पिडियाट्रिक्स अकैडेमी के सदस्यों के साथ बैठक की है. इस बैठक में इस बात पर चर्चा हुई है कि बच्चों की देखभाल के लिए मेडिकल स्टाफ कितने प्रशिक्षित हैं और उनकी संख्या कितनी है. इसके साथ ही, इस बात पर भी चर्चा हुई है कि बच्चों का होम आइसोलेशन बिना माता-पिता की देखभाल के मुश्किल होगा. पाटिल ने कहा है कि राज्य जल्द ही इसपर गाइडलाइंस जारी करेगा.
उत्तर प्रदेश राज्य में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शेल्टर होम की जांच की है और कोरोना की तीसरी लहर की आशंका में बैठक की है जिससे कोविड से संक्रमित या इससे प्रभावित बच्चों के मदद और पुनर्वास पर काम किया जा सके.
इसके अलावा, आंध्र प्रदेश ने भी एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया है और महाराष्ट्र सरकार भी बच्चों में कोविड होने की स्थिति के लिए तैयारी कर रहे हैं.
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