अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 50 अरब डॉलर की एक वैश्विक टीकाकरण योजना का प्रस्ताव दिया है जो 2021 के अंत तक कम से कम 40 प्रतिशत वैश्विक आबादी और 2022 की पहली छमाही तक कम से कम 60 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त होगी.
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिएवा ने जी20 स्वास्थ्य शिखर सम्मलेन में अपने संबोधन में कहा कि अभी मजबूत एवं समन्वित कार्रवाई किए जाने तथा अत्यधिक लाभों के संबंध में थोड़े बहुत वित्तपोषण से दुनिया इस अभूतपूर्व स्वास्थ्य एवं आर्थिक संकट से स्थायी रूप से निकल सकती है.
उन्होंने कहा, “कुछ समय से, हम आर्थिक सफलता के खतरनाक रूप से चरमराने की चेतावनी दे रहे हैं. टीकों तक पहुंच रखने वाले अमीर देशों और टीका न प्राप्त कर सकने वाले गरीब देशों के बीच अंतर बढ़ने से यह और बुरा होता जाएगा.”
जॉर्जिएवा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व बैंक, गावी, अफ्रीकी संघ एवं अन्य की तरह ही आईएमएफ भी लक्ष्यों का प्रस्ताव देता है, वित्तपोषण की जरूरतों का अनुमान व्यक्त करता है और व्यावहारिक कार्रवाई की रूपरेखा रखता है जिसके तीन व्यापक तत्व हैं.
उन्होंने कहा, “पहला, 2021 के अंत तक कम से कम 40 प्रतिशत आबादी का और 2022 के मध्य तक 60 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण. इसके लिए कोवैक्स (COVAX) को अतिरिक्त अग्रिम अनुदान देने, अधिशेष खुराकों को दान करने और कच्चे माल एवं टीकों का सीमा पार मुक्त प्रवाह होना जरूरी है.”
जॉर्जिएवा ने कहा कि दूसरा तत्व वायरस के नए प्रकारों जैसे जोखिमों के खिलाफ सुरक्षा देना है. इसका अर्थ है अतिरिक्त टीका उत्पादन क्षमता में निवेश करना, आनुवंशिक निगरानी और आपूर्ति श्रृंखला निगरानी बढ़ाना और वायरस के रूप परिवर्तन या आपूर्ति कमियों से निपटने के लिए आकस्मिक योजनाएं बनाना शामिल है.
तीसरा, अंतरिम अवधि जहां टीकों की आपूर्ति सीमित है, उसको व्यापक जांच एवं अनुरेखण, दवाइयों एवं जनस्वास्थ्य उपायों के साथ प्रबंधित करना और उसी वक्त टीका देने के लिए तैयारियां तेज करना.
जॉर्जिएवा ने कहा कि यह प्रस्ताव अनुदानों, राष्ट्रीय सरकारी संसाधनों और रियायती वित्तपोषण सबको मिलाकर करीब 50 अरब डॉलर का है.
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