जो लोग मेडिक्लेम पॉलिसी नहीं लेने के बहाने बताते थे वो आज इसके लिए तगड़ा प्रीमियम देने को भी तैयार हैं क्योंकि कोरोना बीमारी ने उनके पॉकेट में बड़ा छेद कर दिया है.
यदि आप किसी मेट्रो में रहते हैं और अगर आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं है और कोरोना की बजह से आपने वेंटीलेटर बेड पर कम से कम एक हफ्ता निकाला है तो निश्चित तौर पर आपका इलाज का खर्च कम से कम 5 लाख रुपये तक पहुंच गया होगा. यदि आप घर पर ही स्वस्थ हो गए हैं तो भी ये खर्च 15,000-25,000 रुपये हो सकता है.
सबसे पहला खर्च फीवर, सर्दी–जुकाम जैसे कोरोना–संबंधित लक्षण हैं तो आप सबसे पहले टेस्ट करके कन्फर्म करेंगे. इसके लिए RT-PCR टेस्ट करवाना जरूरी है. इस टेस्ट का चार्ज विभिन्न शहरों की लैब्स में 750 रुपये से लेकर 1,500 रुपये तक है.
घर पर इलाज का खर्च
कंसल्टेंट फिजीशियन डॉक्टर हरिप्रसाद अय्यर कहते हैं, ”कोविड पॉजिटिव मरीज को घर पर ही इलाज देने के लिए 7 दिन की दवाइयों का खर्च 4,000 रुपये तक होता है. इसके अलावा ब्लड इन्वेस्टिगेशन का खर्च 3,000 रुपये तक हो सकता है.”
कोरोना की दूसरी लहर में तो एक ही परिवार के कई लोग एक साथ पॉजिटिव होते हैं तो उस हिसाब के एक परिवार को स्वस्थ होने में 30,000-50,000 रुपये तक का खर्च करना पड़ता है.
होटल क्वारंटीन का खर्च
यदि आप होटल में आइसोलेट होना चाहते है तो आपको 7 दिन के लिए 35,000-80,000 रुपये तक खर्च करना पड़ेगा. हरोफरो टूर्स & ट्रैवल्स के स्थापक मोहित रावल के मुताबिक, ”होटल में क्वारंटाइन के लिए कम से कम 5 दिन से लेकर 14 दिन के लिए रूम बुक करना पड़ता है. ऐसे रूम के लिए बजट होटल के चार्जेज 999-5,000 रुपये प्रति दिन तक है. प्रीमियम कैटेगरी के होटेल में एक रूम का एक दिन का एक व्यक्ति का चार्ज 5,000 रुपये से शुरू होता है.”
प्रति दिन खर्च बिना वेंटिलेटर और आईसीयू के एक नॉन–क्रिटिकल कोविड-19 के मरीज के इलाज में रोजाना करीब 10,000 रुपये से 25,000 रुपये का खर्च आता है.
14 दिन में कितना खर्च एक मरीज को औसतन 14 दिन अस्पताल में रखा जाता है. यह क्वारंटीन के लिए अनिवार्य अवधि है. यदि मरीज की हालत अच्छी है और सिर्फ ये अनिवार्य अवधि के लिए भर्ती किया गया है तो भी 1 लाख रुपये तक का खर्च हो सकता है.
वेंटिलेटर के साथ बढ़ता है खर्च
ऐसे मामलों में जहां वेंटिलेटर जरूरी होता है, वहां बिल काफी बढ़ जाता है. उन मामलों में रोजाना का खर्च करीब 25,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच आता है और 14 दिन के लिए खर्च का फिगर 3.5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक जा सकता है.
डिस्पोजेबल खर्च डॉक्टरों को अपने प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) किट के साथ साथ मास्क, गाउन, शू, कवर, ग्लव्स को बार-बार बदलने की जरूरत पड़ती है. इस तरह प्रति किट 750-1000 रुपये का खर्च और बढ़ जाता है.
अन्य खर्च इन सभी खर्चों के अलावा मेंटेनेंस कॉस्ट शामिल होती है. इनमें अस्पताल के कमरे, मरीज के खाने, एंबुलेंस इत्यादि का खर्च शामिल है.
यदि मेडिक्लेम नहीं है और आप कोरोना पॉजिटिव है तो मेट्रो के निजी हॉस्पिटल में कितना खर्च हो सकता हैः
आइटम | प्रति दिन खर्च | 7 दिन का खर्च |
ऑक्सीजन बेड | 15,000 रुपये– 25,000 रुपये | 1,05,000 रुपये- 1,75,000 रुपये |
रूटिन बेड (कोविड–केर सेन्टर) | 11,000 रुपये | 77,000 रुपये |
ICU बेड | 25,000 रुपये | 1,75,000 रुपये |
वॉर्ड चार्ज | 20,000 रुपये तक | 1,40,000 रुपये तक |
वेंटीलेटर बेड | 30,000-50,000 रुपये | 2,10,000-3,50,000 रुपये |
बाइपैप | 25,000-40,000 रुपये | 1,75,000-2,80,000 रुपये |
डॉक्टर विजिट चार्ज | 3,000 रुपये प्रति विजिट | 21,000 रुपये |
नर्सिंग चार्ज | 1,200-2,400 रुपये (24 hrs.) | 8,400-16,800 रुपये |
स्टाफ चार्ज | 5,000 रुपये तक | 35,000 रुपये तक |
अटेंडेंट | 800 रुपये | 5,600 रुपये |
ब्लड इनवेस्टिगेशन (CBC, CRP, D-DAIMAR, LDH, FERRITIN, SGPT,
CREAT) |
5,000 – 10,000 रुपये (प्रति 3 दिन) | 10,000-20,000 रुपये |
मेड़िकल इक्विपमेन्ट (SPO2 मशीन, BP इन्स्ट्रुमेन्ट, नेब्युलाईजर मशीन, ग्लुकोमीटर, स्टेथोस्कोप, नेबुलाइजर मास्क) | 9,000 रुपये | 9,000 रुपये |
अन्य डिस्पोजबल आइटम (मास्क, गाउन, शू, कवर, ग्लोव्स) | 10,000 रुपये | 10,000 रुपये |
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