भारत में अब तक कोविशील्ड लगाने के बाद 26 लोगों में ब्लड क्लॉटिंग (Blood Clotting) के संभावित मामले मिले हैं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन कमिटी (AEFI Committee) जो वैक्सीन लगने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट और बुरे असर पर नजर रखती है उसने ये जानकारी दी है.
AEFI कमिटी के मुताबिक कोविशील्ड वैक्सीन लगाने के बाद 498 गंभीर मामलों की गहराई से समीक्षा पूरी कर ली है. इनमें से 26 ऐसे मामले रहे जो संभवत: थ्रोंबोएम्बोलिक (खून का थक्के जमने के मामले) रहे.
AEFI के मुताबिक हर 10 लाख डोज पर सिर्फ 0.61 ऐसे मामले रहे हैं. वहीं युनाइटेड किंग्डम के रेगुलेटर मेडिकल एंड हेल्थ रेगुलेटरी अथॉरिटी (MHRA) के मुताबिक वहां हर 10 लाख डोज पर ऐसे 4 मामले मिले हैं जबकि जर्मनी में ये 10 मामले प्रति 10 लाख डोज रहे हैं.
कमिटी ने जानकारी दी है कि कोवैक्सीन लगाने के बाद खून के थक्के जमने (Blood Clotting) के कोई मामले नहीं मिले हैं. कोवैक्सीन को भारत बायोटेक और ICMR ने मिलकर बनाया है. इस वैक्सीन में कमजोर किए वायरस को ही इस्तेमाल किया गया है ताकि शरीर एंटीबॉडी बना सके.
वहीं कोविशील्ड को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड ने मिलकर बनाया है और इसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट मैन्युफैक्चर कर रहा है. युनाइटेड किंग्डम में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग के मामले सामने आने पर कुछ समय के लिए इसका इस्तेमाल रोक दिया गया था.
मंत्रालय का कहना है कि वैज्ञानिक शोध के मुताबिक दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशियाई लोगों में ब्लड क्लॉटिंग (Blood Clotting) का रिस्क यूरोपीय लोगों के मुकाबले 70 फीसदी कम है.
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