COVID-19: कोरोना संकट ने बहुत से परिवारों को बेसहारा कर दिया है, उनकी खुशियां छीन ली हैं. जिन परिवार में किलकारियां गूंजा करती थीं, उसी घर में बच्चे गुमसुम नजर आ रहे हैं. ऐसे ही बच्चों के लिए मध्यप्रदेश सरकार नें पेंशन देने की योजना का ऐलान किया था और उसके बाद गुजरात सरकार ने भी ऐसा ही ऐलान किया है. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रशासन से कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की सूची मांगी है.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग के हेड अनुराग कुन्डु ने हाल ही में चिंता जताई थी कि पिछले कई दिनों से उन्हें हर रोज 30 से भी ज्यादा SOS मैसेज मिल रहे है. ये मैसेज ऐसे बच्चों के लिए है जिन्होंने परिवार के सभी सदस्यों को कोरोना की वजह से गंवा दिया है और अभी अकेले हैं.
सबसे पहले मध्यप्रदेश सरकार ने ऐलान किया कि, कोरोना काल में ऐसे बच्चे जिनके परिवार से पिता का साया उठ गया है, कोई कमाने वाला नहीं है, ऐसे परिवारों को हर महिने 5,000 रुपये पेंशन दी जाएगी. साथ ही ऐसे बच्चों को निःशुल्क शिक्षा मुहैया कराई जाएगी.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महामारी के दौरान जिन परिवारों में अभिभावक या संरक्षक की मृत्यु हो गई है, उन्हें सरकार की ओर से मुफ्त राशन भी दिया जाएगा. इसके अलावा ऐसे परिवारों को सरकार की गारंटी पर बिना ब्याज के ऋण भी उपलब्ध कराया जाएगा.
गुजरात सरकार ने भी 18 साल से कम उम्र के बच्चों को हर माह 4,000 रुपये पेंशन देने का ऐलान किया था. ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र तक ये पेंशन मिलेगा.
भाजपा-शासित उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों की सूची 15 मई तक निदेशक महिला कल्याण और राज्य बाल संरक्षण आयोग को भेजने की सूचना दी है.