कोरोना ने गुजरात में तबाही मचाई है और यहां 12,000 मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं, जबकि 125 से अधिक मरीज मर रहे हैं. कोरोना के मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन और ऑक्सीजन की उपलब्धि सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है. इस माहौल में लोगो में इतना डर है कि कोरोना के नाम से कुछ भी बिक रहा है. गुजरात में कोरोना को ठीक करने का दावा करने वाली एक कंपनी को सरकार ने नोटिस थमा दिया है.
सरकार ने लिया एक्शन
आयुष मंत्रालय से प्राप्त पत्र के आधार पर कार्रवाई करते हुए गुजरात के खाद्य और औषधि नियंत्रण प्रशासन के संयुक्त आयुक्त (आयुर्वेद) ने राजकोट स्थित दवा कंपनी को एक कारण बताओ नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. कंपनी पर उसके आयुर्वेद सिरप AAYUDH एडवांस के बारे में भ्रामक दावे करने के लिए कार्यवाही की गई है.
भ्रामक दावा
कंपनी का दावा है कि उनका कथित उत्पाद चिकित्सा मानकों के अनुसार, परीक्षण और उपचार के लिए “कोविड 19” दवा है. कंपनी का दावा है कि यह उत्पाद रेमडेसिविर की तुलना में तीन गुना बेहतर है और जहां ये इंजेक्शन काम करना बंद कर देता है वहीं से AAYUDH Advance काम करना शुरू कर देता है.
आयुष मंत्रालय के ड्रग नीति विभाग ने गुजरात के आयुर्वेद लाइसेंसिंग प्राधिकरण को उस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जिसने अपने प्रॉडक्ट आयुध एडवान्स के संबंध में इस तरह के भ्रामक दावे किए हैं.
कड़ी कार्रवाई के आदेश
गुजरात के आयुर्वेदिक चिकित्सा लाइसेंसिंग प्राधिकरण के संयुक्त आयुक्त ने मेसर्स शुक्ला आशर इम्पेक्स लिमिटेड के खिलाफ तत्काल और कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. पत्र में कंपनी के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के 5-6 कारणों का हवाला दिया गया है.
आयुष मंत्रालय द्वारा भेजे गये पत्र में लिखा गया है कि ड्रग फॉर्मूलेशन के बारे में कंपनी द्वारा किए गए दावों में गंभीरता नहीं है. आयुर्वेद के नियमों का हवाला देते हुए पत्र में कहा गया है कि दवा के निर्माण ने “ईईबी की धारा 33” का उल्लंघन किया है, जो एक विशेष दवा को “गलत ब्रांडेड, मिलावटी और नकली” के रूप में वर्गीकृत करता है.
आपको बता दें कि कंपनी दावा करती है कि ” उनकी दवा एक तरल फॉर्म्यूलेशन है जिसमें 21 विभिन्न प्रकार के पौधे-आधारित अर्क जोड़े जाते हैं. आयुर्वेदिक शास्त्रों के अनुसार, ये तत्व मानव उपयोग के लिए प्रभावी और सुरक्षित हैं.”
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