COVID19 Update: देश के 11 राज्यों में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति गंभीर है और इन प्रदेशों में रोजाना मरीजों की बढ़ती संख्या तथा प्रतिदिन होने वाली मृत्यु के आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की दक्षिण-पूर्वी एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि कोविड उचित व्यवहार को अपनाकर बहुत हद तक वायरस और उसके नए स्वरूप को फैलने से रोका जा सकता है. पेश हैं इस संबंध में उनसे ‘भाषा’ के पांच सवाल और उनके जवाब…
सवाल: कोविड-19 प्रोटोकॉल के अनुरूप व्यवहार नहीं करने के अलावा भारत में वायरस संक्रमण फैलने के अन्य क्या कारण हैं? जवाब : कोविड उचित व्यवहार को अपनाकर बहुत हद तक वायरस और उसके नए स्वरूप को फैलने से रोका जा सकता है. जांच, संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान, मरीजों को पृथक-वास में रखना और उनका सही उपचार करने जैसे पांच कदम वायरस के प्रसार को रोकने की दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम हैं. इसके साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सामाजिक एहतियात के कदमों को सख्ती से लागू कर वायरस के संक्रमण को रोका जा सकता है.
सवाल : क्या वायरस का नया स्वरूप संक्रमण की नयी लहर का कारण है? जवाब : वायरस के स्वरूपों और इनकी मौजूदगी के बारे में उपलब्ध जानकारी व्यवस्थित नहीं है. इसके बारे में व्यवस्थित जानकारी नहीं मिल पाना चिंता का विषय है. ऐसे में हम सभी को मिलकर इस वायरस को फैलने से रोकना होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन ‘वायरस उत्पत्ति कार्यकारी समूह’ के जरिए इसके नए स्वरूपों पर नजर रख रहा है. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘सार्स-सीओवी-2’ उत्परिवर्तन की पहचान और निगरानी के लिए एक खाका भी तैयार किया है. वायरस के नए स्वरूप को लेकर त्वरित एवं समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया की जरूरत है.
सवाल : कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता कितने समय में विकसित हो जाती है? क्या इसके बाद भी दोबारा संक्रमण का खतरा रहता है? जवाब : अधिकतर लोगों में एक से तीन सप्ताह के भीतर प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है लेकिन हम अभी प्रतिरोधक क्षमता की मजबूती और इसकी अवधि से संबंधित चीजों पर काम कर रहे हैं. ऐसे अध्ययन सामने आए हैं कि लोगों में प्रतिरोधक क्षमता कई महीनों तक (संभवत: छह महीने या इससे कुछ अधिक) बनी रहती है, लेकिन इसकी क्षमता अलग-अलग हो सकती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि उस व्यक्ति पर संक्रमण का कितना प्रभाव है. इस बारे में और अध्ययन करने की जरूरत है. ऐसी कुछ रिपोर्ट आई हैं जिनमें लोगों के दोबारा संक्रमित होने की बात कही गई है लेकिन इस बारे में कोई व्यवस्थित अध्ययन नहीं है.
सवाल : आने वाले दिनों में कोविड-19 की दूसरी लहर की दिशा क्या रहेगी और इससे प्रभावी ढंग से कैसे निपटा जा सकता है? जवाब : महामारी विज्ञान के आधार पर हम कह सकते हैं कि इस बारे में कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकता कि इसकी दिशा क्या रहेगी. हालांकि पिछले एक वर्ष के अनुभव के आधार पर हम कह सकते हैं कि कोविड-19 प्रोटोकॉल एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लेकर निर्धारित कदमों का पालन कर वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है. वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपाय बहुत महत्वपूर्ण हैं. सामाजिक दूरी के उपाय तथा आवाजाही पर पाबंदी से लोगों के बीच संपर्क सीमित होगा और कोविड-19 की रफ्तार घटेगी.
सवाल : क्या लॉकडाउन जैसे कदम कोविड-19 की दूसरी लहर को रोकने में सहायक हो सकते हैं? जवाब : स्थानीय स्तर पर महामारी और जोखिम का आकलन करके तथा स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता के आधार पर ही इस तरह के फैसले लिए जाने चाहिए. ये उपाय वैज्ञानिक प्रमाणों और वास्तविक अनुभव पर आधारित होने चाहिए तथा इन्हें लागू करने में आर्थिक कारक, खाद्य सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण चीजों का ध्यान रखना चाहिए. लॉकडाउन से इतर भौतिक दूरी और लोगों की आवाजाही को सीमित करने जैसे उपायों से भी कोरोना के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी.
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