अब से महज एक महीने पहले के हालात कितने भयावह थे, इसका अंदाजा शायद हम सबको है. कोविड-19 महामारी की वजह से चारों तक मातम और हाहाकार का माहौल था. कोविड की दूसरी लहर से पैदा हुई तबाही की एक बड़ी वजह तब इस महामारी से बचने के उपायों में लापरवाही बरतना था. इस मुश्किल माहौल में हर किसी की एक जिम्मेदारी है. राज्य धीरे-धीरे पाबंदियां हटा रहे हैं. ऐसे में नागरिकों को खुद पर थोड़ा नियंत्रण रखना चाहिए.
महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला सूबा है. राज्य ने अब कुछ पाबंदियों में ढील दे दी है. लेकिन, स्वास्थ्य अधिकारियों ने आगाह किया है कि इस वक्त लापरवाही करना खतरनाक हो सकता है और ये कोविड की तीसरी लहर को दावत दे सकता है.
बड़े शहरों में जीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने के साथ ही संबंधित राज्य सरकारों को एक नपीतुली एप्रोच पर चलना होगा और देखना होगा कि नागरिक गाइडलाइंस का उल्लंघन न करें.
एक्सपर्ट्स की आशंका है कि कोविड की तीसरी लहर भारत में अक्टूबर तक दस्तक दे सकती है और ऐसे में महामारी का खतरा कम से कम अगले साल के लिए भी बना हुआ है.
तीसरी लहर के लिए जाहिर किए जा रहे अनुमान बेहद डराने वाले हैं और कहा जा रहा है कि इसमें संक्रमण के कुल मामलों की संख्या दूसरी लहर के मुकाबले दोगुनी होगी. साथ ही इसमें बच्चों और कम उम्र वाले युवाओं के लिए ज्यादा खतरा है.
भारतीय एक ही गलती को फिर से नहीं दोहरा सकते हैं. हम भारी तबाही से गुजर चुके हैं और हमें तीसरी लहर को मिलकर रोकना होगा.
18 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी चेतावनी दी है कि कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन हो रहा है और इससे तीसरी लहर के हालात और खराब ही होंगे.
हाईकोर्ट ने अधिकारियों से कहा है कि वे दुकानदारों को जागरूक करें और ये सुनिश्चित करें कि सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन न हो.
वैक्सीनेशन से हमारी सुरक्षा पुख्ता होती है और उम्मीद है कि वैक्सीन की कमी जल्द ही दूर होगी. वैक्सीनेशन की मुहिम तेज रफ्तार से आगे बढ़ाई जानी चाहिए.
देश के प्रमुख डॉक्टर ने आगाह किया है कि अगर हम अभी सचेत नहीं हुए तो हॉस्पिटल फिर से मरीजों से भर जाएंगे और जो भयावह तस्वीरें देखने को मिली हैं ऐसा फिर से देखने को मिल सकता है.
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