महामारी के दौरान हमारे सामूहिक व्यवहार से ही ये तय होगा कि हम इस मुश्किल से कितनी जल्दी निजात पा सकेंगे. लेकिन, कई लोग आपराधिक आचरण कर रहे हैं. एक ओर तो हम में से कई मास्क लगाने तक की जहमत नहीं उठाते. दूसरी ओर, जैसे ही हालात बिगड़ते हैं, हम सरकार पर आरोप लगाने लगते हैं, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और इलाज मांगते हैं. ज्यादातर लोग तो मुफ्त में इलाज चाहते हैं.
ऐसे में सरकारों को कोविड नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाना पड़ रहा है. दिल्ली में 31 मई से अनलॉक शुरू होने के बाद से 35,000 लोग कोविड नियमों के उल्लंघन के चलते पकड़े गए हैं और इनसे 7.1 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया है. यही नहीं, 2,587 लोग तो अरेस्ट भी हुए हैं.
इस दौरान 509 दुकानदारों को भी नियमों का उल्लंघन करने के चलते बुक किया गया है. पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी पुलिस पाबंदियों को उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई कर रही है.
सभी राज्य सरकारों को लोगों की जिंदगियों को बचाने के लिए सख्ती बढ़ाने की जरूरत है. एपीडेमिक डिसीज एक्ट, 1897 में अरेस्ट का प्रावधान है.
आजादी के बाद से पहली बार शायद देश को इस तरह की बड़ी आपदा का सामना करना पड़ रहा है. देश का पूरा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर चरमरा गया है और हालात संभालने मुश्किल हो रहे हैं. ऐसे में देश कुछ लोगों की आपराधिक लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता है क्योंकि ऐसे लोगों की गलती का खामिया बेकसूर लोगों को भुगतना पड़ता है.
अगर वैक्सीनेशन और लोगों के इलाज की जिम्मेदारी सरकार की है तो लापरवाह लोगों पर सख्ती करना भी सरकार का हक है.
आजादी एक सामाजिक कॉन्ट्रैक्ट है और निरंकुश आजादी की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
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