देश में बढ़ते कोरोना संकट से मेडिकल इंफ्रा और स्टाफ पिछले एक साल से दबाव में है. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि स्वास्थ्य कर्मियों की कमी पूरी करने के लिए मेडिकल की पढ़ाई में अंतिम साल की परीक्षा का इंतजार कर रहे छात्रों , पोस्ट ग्रैजुएशन के फाइनल ईयर के छात्र और पोस्ट ग्रैजुएशन की एंट्रेस का इंतजार कर रहे डॉक्टरों को कोविड ड्यूटी (COVID Duty) पर लगाया जा सकता है. भारत में एक दिन में 4 लाख से ज्यादा मरीज मिले हैं. अप्रैल में बढ़े मामलों से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि आगे संकट और विकराल हो सकता है.
देश के दिग्गज सर्जन और नारायण हेल्थ के चेयरमैन और फाउंडर डॉ देवी प्रसाद शेट्टी का कहना है कि आगे कोरोना से स्थिति और गंभीर होने का अनुमान है. पुणे में एक ऑनलाइन संबोधन नें उन्होंने कहा कि भारत को अगले कुछ हफ्तों में अतिरिक्त 5 लाख आईसीयू बेड, 2 लाख नर्स और 1.5 लाख डॉक्टरों की जरूरत पड़ सकती है. इस पहाड़ जैसी चुनौती का हल भी उन्होंने ही सुझाया है – फाइनल ईयर के छात्रों को कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए नियुक्त किया जा सकता है.
भारत में फिलहाल 2.20 लाख छात्र ऐसे हैं जो जनरल नर्सिंग या मिडफाइफ का 3 साल का कोर्स पूरा कर चुके हैं या फिर नर्सिंग स्कूलों और कॉलेजों में बीएससी कोर्स के चौथे साल में है. अगले कुछ हफ्तों में इन छात्रों की परीक्षाएं आने वाली हैं.
डॉ शेट्टी के मुताबिक भारत में करीब 1.30 लाख ऐसे डॉक्टर हैं जो पोस्ट ग्रैजुएशन के लिए NEET की तैयारी कर रहे हैं. पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स के लिए सिर्फ 35,000 सीटे ही हैं. जो डॉक्टर पोस्ट ग्रैजुएट एंट्रेस में उत्तीर्ण नहीं हो पाते ऐसे तकरीबन 1 लाख डॉक्टरों को एक साल के लिए कोविड ICU (COVID Duty) में काम के लिए बुलाया जा सकता है और उन्हें अगले साल PG के लिए मौका देना चाहिए.
वहीं दूसरी ओर ऐसे 25,000 डॉक्टर हैं जिन्होंने अपना पोस्ट ग्रैजुएशन ट्रेनिंग पूरी कर ली है लेकिन अभी उनकी परीक्षाएं नहीं हुई हैं. इस बैच के छात्रों को भी बिना परीक्षा के ही डिग्री देनी चाहिए बशर्ते वे कोविड ICU में काम करने के लिए तैयार हो जाएं.
वहीं डॉ शेट्टी मेडिकल स्टाफ बढ़ाने के लिए एक और सुझाव देते हैं कि ऐसे 90 हजार से 1 लाख डॉक्टर हैं जिन्होंने विदेशी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की है लेकिन नेशनल एंट्रेस एग्जाम पास नहीं कर पा रहे हैं. इनमें से 20 हजार छात्रों को चुनकर कोविड ड्यूटी पर लगाना चाहिए और बदले में पर्मानेंट रजिस्ट्रेशन की सुविधा होनी चाहिए.
डॉ शेट्टी कहते हैं कि अस्पतालों में सिर्फ बेड की संख्या बढ़ाने से मकसद पूरा नहीं होगा क्योंकि मरीजों का इलाज बेड नहीं डॉक्टर और नर्स करते हैं. उन्होंने अगले 4-5 महीने तक कोरोना महामारी का कहर जारी रहने का अनुमान दिया है और तीसरी लहर की तैयारी के लिए भी सचेत किया है.
ऐसे छात्रों को ड्यूटी (COVID Duty) पर लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय, मेडिकल काउंसिल और इंडियन नर्सिंग काउंसिल को फैसला लेना होगा. वहीं इन छात्रों की नियुक्ति या फिर इनकी परीक्षाओं, ग्रैजुएशन और रजिस्ट्रेशन से जुड़े नियम तय कर सकते हैं.
डॉ शेट्टी ने कहा कि ये ठीक ऐसा ही जैसा युद्ध के समय फौज में सिपाहियों को भर्ती किया जाता है. उन्होंने कहा कि ये शांति का नहीं, जंग की घड़ी है.
डॉ शेट्टी का कहना है कि क्योंकि ये छात्र युवा हैं और इनमें से अधिकतर को वैक्सीन लागई जा चुकी है इसलिए वे इस संकट के समय मदद करने के लिए ज्यादा कारगर हैं. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से मौजूदा मेडिकल स्टाफ बिना रुके लोगों की सेवा में लगा हुआ है और अब इनपर दबाव बढ़ रहा है, ये थक चुके हैं और कइयों को संक्रमण भी हो चुका है.
जब मरीजों का ऑक्सीजन स्तर गिरता है, ऐसे में प्रोनिंग की जरूरत होती है और ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग के वक्त जूनियर डॉक्टर और नर्स ही काम आते हैं.
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