देश में कोरोना के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. कोरोना (COVID-19) की वजह से चारों ओर एक नकारात्मक परिवेश बन गया है, लेकिन अगर इसके पार जा कर देखें तो इस वैश्विक संकट ने भी हमें कई सीख दी है. कोरोना (COVID-19) ने दुनिया को प्रकृति का मोल समझाया है, जहां इलाज के लिए लोगों ने आयुर्वेद की ओर रुख किया, वहीं ऑक्सीजन के संकट ने लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाया है.
ऑक्सीजन और प्रकृति के इसी महत्व को समझते हुए गुजरात के राजकोट में प्रकृति प्रेमी भरत सुरेजा ने एक ऑक्सीजन पार्क बनाया है. उन्होंने शहर के कालवाड़ रोड पर स्पीडवेल पार्टी प्लॉट के पीछे इस पार्क में लगभग 3,000 पेड़ लगाए हैं, जो कोरोना रोगियों के लिए ‘संजीवनी’ साबित हो रहे हैं. भरत के माता-पिता सहित बड़ी संख्या में कोरोना मरीज शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए यहां पहुंचते हैं.
दरअसल, प्रकृति और साहसिक क्लब के अध्यक्ष भरत सुरेजा और उनकी टीम ने 2016 में राजकोट नगर निगम से आवंटित भूखंड में एक ऑक्सीजन पार्क स्थापित किया था. इस एक एकड़ भूमि में लगभग 3,000 पेड़ लगाए गए हैं. इस ऑक्सीजन पार्क में जापानी मियावाकी पद्धति से अलग-अलग तरह के पेड़ लगाए गए हैं. भरत सुरेजा और उनकी टीम का लक्ष्य राजकोट को एक स्मार्ट शहर के साथ-साथ एक हरा-भरा शहर बनाना है, जिसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.
भरत सुरेजा पिछले कई सालों से पेड़ लगाने का काम कर रहे हैं. कोरोना संकट में ऑक्सीजन की कमी से लोगों ने पर्यावरण को संरक्षित करने का महत्व समझा है, इसलिए तमाम लोग राजकोट को प्रदूषण मुक्त और ग्रीन सिटी बनाने के लिए उनके साथ इस मुहिम में जुट रहे हैं.
भरत सुरेजा ने बताया कि 2016 में हमने 115 प्रजातियों के 3,000 पेड़ लगाए। हमारे ऑक्सीजन पार्क बनाने के पीछे का उद्देश्य था कि लोग पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त करें और बीमार न हों. यहां रोजाना बहुत सारे लोग आते हैं. पार्क में औषधीय पौधे भी लगाए गए हैं. राजकोट को स्मार्ट शहर के साथ-साथ हरा-भरा बनाने के लिए अभी भी प्रयास चल रहे हैं.
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