दिल्ली उच्च न्यायालय ने मई के मध्य में कोविड-19 (COVID-19) की दूसरी लहर की चरम स्थिति (Second Wave Peak)आने की आशंका से निपटने की तैयारियों के बारे में केंद्र से जानकारी तलब करते हुए मामलों में तेज़ बढ़ोतरी को ‘सुनामी’ बताया और आगाह किया कि वह यहां अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अड़चन पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को ‘लटका’ देगा.
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने उक्त टिप्पणी दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में बढ़ते ऑक्सीजन संकट के मुद्दे पर छुट्टी वाले दिन सुनवाई करते हुए की.
अदालत ने कहा कि संक्रामक रोग की मृत्यु दर कम है और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है उनकी इस बीमारी से मौत होगी, लेकिन समस्या यह है कि जिन लोगों को बचाया जा सकता था, वे भी मर रहे हैं;
पीठ ने कहा, “ मृत्यु दर को कम करने की जरूरत है.”
कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के वैज्ञानिकों की एक टीम के अध्ययन का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि उसका आकलन है कि कोविड की इस लहर की चरम स्थिति मई के मध्य में आएगी.
अदालत ने कहा, “हम इसे लहर कह रहे हैं, यह असल में एक सुनामी है.”
Coronavirus Peak: इसके साथ अदालत ने चरम स्थिति आने पर केंद्र से अवसंरचना, अस्पताल, चिकित्सा कर्मियों, दवाई, टीका और ऑक्सीजन के आशय में तैयारियों को लेकर सवाल किया.
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मई और जून में मामलों की संख्या में तेज बढ़ोतरी हो सकती है और देश को बदतर स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और अन्य इस पर काम कर रहे हैं और ऑक्सीजन आयात करने का फैसला किया गया है और जहां भी संभव हो, वहां से ऑक्सीजन उत्पन्न करने की सम्भावना तलाश रहे हैं.
अदालत गंभीर रूप से बीमार कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की कमी को लेकर महाराजा अग्रसेन अस्पताल, जयपुर गोल्डन अस्पताल, बत्रा अस्पताल और सरोज सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के वकील के अभिवेदनों पर सुनवाई कर रही थी.
अदालत ने दिल्ली सरकार से केंद्र, राज्य या स्थानीय प्रशासन के किसी भी अधिकारी द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित करने के एक उदाहरण के बारे में बताने को कहा है. पीठ ने कहा, “हम उस व्यक्ति को लटका देंगे. हम किसी को भी नहीं बख्शेंगे ”
अदालत ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह स्थानीय प्रशासन के ऐसे अधिकारियों के बारे में केंद्र को भी बताए ताकि वह उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके.
उच्च न्यायालय ने केंद्र से भी सवाल किया कि दिल्ली के लिए आवंटित प्रतिदिन 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उसे कब मिलेगी?
अदालत ने कहा, “ आपने (केंद्र ने) हमें (21 अप्रैल को) आश्वस्त किया था कि दिल्ली में प्रतिदिन 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंचेगी. हमें बताएं कि यह कब आएगी?”
दिल्ली सरकार ने अदालत को सूचित किया कि उसे पिछले कुछ दिनों से रोजाना सिर्फ 380 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ही मिल रही है और शुक्रवार को उसे करीब 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली थी. इसके बाद अदालत ने केंद्र से सवाल किया.
सुनवाई के दौरान, अदालत ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों से भी सवाल किया कि उन्होंने केंद्र द्वारा राष्ट्रीय राजधानी को आवंटित ऑक्सीजन की आपूर्ति हासिल करने के लिए टैंकरों को सुरक्षित करने के लिए क्या कोशिशें की हैं?
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