Black Fungus: उत्तराखंड में ‘ब्लैक फंगस’ (Black Fungus) के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश सरकार ने शनिवार को इसे महामारी अधिनियम,1897 के तहत अधिसूचित रोग घोषित कर दिया है.
उत्तराखंड में अब तक 64 लोग इस रोग से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से चार को अपनी जान गंवानी पड़ी है.
स्वास्थ्य सचिव पंकज कुमार पांडेय ने कहा है कि ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस के समन्वित उपचार के लिए इसे अधिसूचित बीमारी घोषित किया गया है क्योंकि कोविड-19 से पीड़ित होने के बाद लोग इस संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं.
अधिसूचित रोग होने पर कानूनन इसकी जानकारी सरकारी अधिकारियों को देनी होती है. सूचना के संग्रहण से अधिकारियों को बीमारी की निगरानी में सहायता मिलती है और इसके प्रसार को लेकर शुरुआती चेतावनी भी मिल जाती है.
प्रदेश सरकार ने शनिवार को ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार में काम आने वाली एम्फोटेरिसिन बी दवा के उचित वितरण के मद्देनजर मानक संचालन प्रक्रिया भी जारी की.
एम्फोटेरिसिन बी दवा सरकारी मेडिकल कॉलेजों, संस्थानों और कोविड समर्पित अस्पतालों को तय प्रारूप में मरीज का नाम, संक्रमण की प्रकृति जैसे विवरण देने तथा आपूर्ति के लिये अनुरोध करने पर भुगतान के बाद दी जाएगी.
मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के मुताबिक रश्मि पंत और कैलाश गुंजयाल को क्रमश: कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में मामलों की जांच के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है.
इसमें कहा गया है है कि मौजूदा एसओपी दवा के समुचित वितरण के लिये 18 मई को जारी किये गए आदेश की जगह प्रभावी होगी.
केन्द्र सरकार ब्लैक फंगस रोग के इलाज के लिए फंगलरोधी दवा एम्फोटेरिसिन-बी (Amphotericin B) की आपूर्ति और उपलब्धता बढ़ाने के हरसंभव उपाय कर रही है.
देश में पांच अतिरिक्त निर्माताओं को यह दवा बनाने के लिए लाइसेंस दिया गया है जबकि पांच मौजूदा निर्माताओं से उत्पादन तेजी से बढ़ाने को कहा गया है. माई लैब कंपनी इसकी इंपोर्टर है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।