गुजरात हाई कोर्ट के दखल के बाद आखिरकार सरकार को अपने नियमों को बदलना पड़ा है. राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजीव गुप्ता की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि अहमदाबाद नगर निगम द्वारा संचालित अस्पताल सहित सभी अस्पतालों में मरीज को 108 एंबुलेंस (Ambulance) में आना अनिवार्य नहीं है. अगर मरीज को निजी वाहन में लाया जाता है, तो भी अस्पताल को उन्हें भर्ती करना होगा. अभी तक निजी वाहनों में आने वाले मरीजों को भर्ती नहीं किया जाता था. सिर्फ 108 एंबुलेंस (Ambulance) से आने वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता था. इतना ही नहीं आधार कार्ड की भी आवश्यकता नहीं है. फैसला गुरुवार सुबह से प्रभावी हो गया है.
सरकार ने आदेश दिया है कि कोरोना का इलाज करने वाले सभी अस्पतालों को कोरोना उपचार के लिए 75 प्रतिशत बेड आरक्षित करने होंगे. जबकि 25 प्रतिशत बेड अन्य रोगियों के लिए आरक्षित रहेंगे. म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के इस निर्णय से 1000 बेड की वृद्धि होगी.
अधिकारियों की बैठक में कई निर्णय लिए गए हैं. जैसे कोरोना का इलाज करने वाले किसी भी अस्पताल में, किसी भी वाहन में आने पर रोगी को भर्ती करना पडेगा. चाहे वह अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन द्वारा संचालित हो, निजी अस्पताल की गाड़ी हो, सिविल अस्पताल या सभी सरकारी अस्पताल, जो नामित हो या न हो. सभी अस्पतालों को रोगी को भर्ती करना होगा.
कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए भर्ती होने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता भी खत्म कर दी है. अहमदाबाद में आधार कार्ड की आवश्यकता का नियम भी वापस ले लिया गया है ताकि मरीज को जल्दी से भर्ती किया जा सके. ऐसे में कोरोना का इलाज करने वाला कोई भी अस्पताल उपचार की आवश्यकता वाले किसी भी मरीज को भर्ती करने से मना नहीं कर सकेगा.
कोरोना का इलाज करने वाले सभी अस्पतालों को राज्य सरकार के पोर्टल से लिंक करना होगा और जनता के लिए उपलब्ध बिस्तरों की रियल टाइम जानकारी प्रदर्शित करनी होगी. प्रत्येक अस्पताल को लगातार बड़े डिस्प्ले बोर्ड के माध्यम से कानूनी तौर पर उपलब्ध बिस्तरों की नवीनतम जानकारी (रिअल टाइम जानकारी) प्रदर्शित करनी होगी. वहीं, 108 कंट्रोल रूम का संचालन एएमसी और राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।