लाल सागर में तनाव का असर भारत के निर्यात पर दिखने लगा है. जनवरी के दौरान देश से नॉन ऑयल निर्यात में 9 महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. दिसंबर के मुकाबले जनवरी में भारत से गैर ऑयल एक्सपोर्ट 9 फीसद घटा है. लाल सागर के तनाव की वजह से शिपिंग कंपनियों को भारत से यूरोप और अमेरिका में सामान के निर्यात के लिए अफ्रीका घूमकर जाना पड़ रहा है और यह रास्ता लाल सागर के रास्ते के मुकाबले लंबा होने के साथ महंगा भी है.
जहां तक कच्चे तेल के निर्यात का सवाल है, भारत के कुल पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात पर लाल सागर की परेशानियों का प्रभाव सीमित था. दरअसल, निर्यातकों ने कार्गो को विभिन्न अन्य भौगोलिक क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया था. भारत से यूरोप को होने वाले पेट्रोलियम निर्यात में 22 फीसद की भारी गिरावट दर्ज की गई, जबकि सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, जापान, ओमान, श्रीलंका और बांग्लादेश को निर्यात में उछाल दर्ज किया गया था.
लाल सागर में तनाव का सबसे ज्यादा असर भारत से नीदरलैंड को होने वाले निर्यात पर दिखाई दे रहा था. बता दें कि नीदरलैंड में यूरोप का सबसे बड़ा बंदरगाह पोर्ट ऑफ रॉटरडैम है. भारत से नीदरलैंड को इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात 37 फीसद कम हो गया, जबकि दवाओं और फार्मास्युटिकल निर्यात में 18 फीसद की गिरावट दर्ज की गई. इंजीनियरिंग सामान का निर्यात भी पिछले महीने की तुलना में 15 फीसद कम हो गया.
इलेक्ट्रॉनिक सामान, दवाओं और फार्मा के निर्यात में गिरावट के कारण ब्रिटेन को निर्यात भी दिसंबर की तुलना में जनवरी में 12 फीसद कम हो गया. हालांकि ब्रिटेन में मांग भी कम हो गई है क्योंकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 2023 की दूसरी छमाही में मंदी में गिर गई है. जनवरी में अमेरिका को भारत का कुल निर्यात 6.32 फीसद घटकर 12.55 अरब डॉलर रह गया. दिसंबर की तुलना में जनवरी में इंजीनियरिंग सामान का निर्यात 12.61 फीसद कम हो गया, जबकि रत्न और आभूषण निर्यात में 10.83 फीसद की गिरावट आई.