पिछले हफ्ते संसद में प्रस्तावित की गई व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी बड़े पैमाने पर लोगों को अपनी पुरानी गाड़ियों को छोड़ने के लिए शायद उत्साहित न कर पाए. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार गाड़ी बदलने के लिए वैसे आकर्षक इंसेंटिव नहीं दे रही है कि जिससे लोग अपनी पुरानी गाड़ियों को कबाड़ में बेचने के लिए तैयार हो जाएं.
प्रस्तावित पॉलिसी के तहत स्क्रैपिंग के लिए दी जाने वाली गाड़ी पर शोरूम कीमत की 4-6 फीसदी वैल्यू मिलेगी. इसके अलावा नई गाड़ी खरीदने पर अगर स्क्रैप सर्टिफिकेट दिया जाता है तो इस पर 5 फीसदी तक डिस्काउंट मिल सकता है.
साथ ही, प्रस्तावित पॉलिसी में कहा गया है कि रोड टैक्स पर 25 फीसदी डिस्काउंट समेत दूसरे ऑफर भी मिलेंगे.
इस पॉलिसी में फिटनेस टेस्ट पास नहीं कर पाने वाली या 15-20 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी ऐसी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की भी बात की गई है जिनका रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं हो सकता है.
जेफरीज ने एक रिपोर्ट में कहा है, “हालांकि, स्क्रैपिंग पॉलिसी का मकसद अच्छा है, लेकिन हमारा मानना है कि ये इनसेंटिव्स इतने बड़े नहीं हैं कि लोग अपनी पुरानी गाड़ियां छोड़ने के लिए तैयार हो जाएं.”
इसमें कहा गया है कि गाड़ी मालिक आमतौर पर मार्केट में गाड़ी की कीमत की करीब 2-3 फीसदी स्क्रैप वैल्यू हासिल कर लेते हैं, ऐसे में इस पॉलिसी में इससे ऊपर कोई ज्यादा वैल्यू नहीं दी जा रही है.
जेफरीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “हमारा मानना है कि इस बात के आसार कम ही हैं कि ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEM) अतिरिक्त डिस्काउंट देंगे क्योंकि डिमांड रिकवर कर रही है और कंपनियों को बढ़ी हुई कमोडिटी कीमतों के चलते मार्जिन पर दबाव झेलना पड़ रहा है.”
सरकार की प्रस्तावित पॉलिसी में कहा गया है कि 15 साल पुरानी कमर्शियल गाड़ियों और 20 साल पुरानी निजी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन खत्म कर दिया जाएगा अगर वे फिटनेस टेस्ट पास नहीं कर पाती हैं या अगर इनके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रिन्यू नहीं हो सकते हैं.