Rahul Bajaj: देश के सबसे सफल बिजनेस लीडर्स में गिने जाने वाले राहुल बजाज (Rahul Bajaj) ने रिटायरमेंट लेने का फैसला कर लिया है. बजाज ऑटो के नॉन-एग्जिक्यूटिव चेयरमैन पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. बजाज ऑटो दुपहिया और थ्री-व्हीलर सेगमेंट में मौजूद है.
राहुल बजाज ने (Rahul Bajaj) इस कंपनी को अपने हाथों से खड़ा किया और इसे देश की दिग्गज दुपहिया कंपनी के तौर पर स्थापित किया है.
30 अप्रैल से इस्तीफा लागू
राहुल बजाज (Rahul Bajaj) का इस्तीफा 30 अप्रैल से प्रभावी हो गया है. बजाज ऑटो ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में इस बात की जानकारी दी है. उनकी जगह पर कंपनी ने नीरज बजाज को कंपनी का चेयरमैन बनाया है. नीरज बजाज 67 साल के हैं और उनकी नियुक्ति 1 मई 2021 से प्रभावी हो जाएगी.
बजाज ग्रुप की कई कंपनियों के बोर्ड में हैं नीरज बजाज
नीरज, राहुल बजाज के कजिन हैं और उनका करियर 25 साल से ज्यादा लंबा रहा है. बजाज ऑटो और बजाज इलेक्ट्रिकल्स में छोटी पारियां खेलने के बाद वे मुकंद लिमिटेड से जुड़ गए और फिलहाल इसके चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं.
बजाज ऑटो के अलावा, वे बजाज आलियांज लाइफ एंड जनरल इंश्योरेंस, बच्छराज एंड कंपनी, जमनालाल संस और कई अन्य बजाज ग्रुप कंपनियों के बोर्ड में भी शामिल हैं.
चेयरमैन एमेरिटस रहेंगे राहुल बजाज
राहुल बजाज (Rahul Bajaj) 1 मई 2021 से पांच साल के लिए कंपनी के चेयरमैन एमेरिटस के तौर पर बने रहेंगे. उनके बेटे राजीव बजाज इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, जबकि मधुर बजाज (राहुल के कजिन) कंपनी के वाइस चेयरमैन बने रहेंगे.
5 दशक से कंपनी के अगुवा रहे राहुल बजाज
कंपनी के नॉन-एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के तौर पर, राहुल बजाज 1972 से बजाज ऑटो के केंद्र में हैं और वे पिछले 5 दशकों से ग्रुप की अगुवाई कर रहे हैं.
रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा गया है कि उनकी उम्र अभी 83 साल है और अपनी उम्र के चलते उन्होंने नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और चेयरमैन के पद से इस्तीफा दिया है.
बजाज ऑटो और ग्रुप की सफलता में राहुल बजाज (Rahul Bajaj) की बड़ी भूमिका रही है. कंपनी ने फाइलिंग में कहा है कि उनके अनुभव और कंपनी में दिलचस्पी को देखते हुए और उनके अनुभव से कंपनी को फायदा मिले इसलिए कंपनी ने उन्हें चेयरमैन एमेरिटस के तौर पर नियुक्त किया है.
1965 में संभाली थी बजाज ऑटो की कमान
राहुल बजाज (Rahul Bajaj) ने बजाज ग्रुप की बागडोर 1965 में संभाली थी. उस वक्त भारत एक बंद अर्थव्यवस्था था. उन्होंने कंपनी की अगुवाई की और बजाज चेतक जैसे आइकॉनिक स्कूटर मार्केट में उतारे. बजाज चेतक एक वक्त में भारतीय मध्यम वर्ग की पहचान था. उन्होंने इस कंपनी को एक के बाद एक नई सफलताओं के पायदान पर पहुंचाया.
मोटरसाइकल कंपनियों की चुनौतियों में भी बजाज ऑटो को थामे रखा
उन्होंने (Rahul Bajaj) उदारीकरण के बाद के दौर में भी कंपनी की अगुवाई की. यह वह दौर था जबकि देश में जापानी मोटरसाइकिल कंपनियों का दबदबा बढ़ने लगा था और बजाज के स्कूटरों के सामने एक बड़ी चुनौती पैदा हो गई थी.
उनकी अगुवाई में बजाज ग्रुप की इस फ्लैगशिप कंपनी बजाज ऑटो का टर्नओवर 7.2 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
2006 से लेकर 2010 तक राहुल बजाज (Rahul Bajaj) राज्यसभा के सदस्य भी रहे.
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