वायु प्रदूषण और पेट्रोल-डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से दुनियाभर में तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Wheeler) को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए इलेक्ट्रिक टू व्हीलर पर डिमांड इन्सेंटिव में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. यानि अब देश में भी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों (Electric Wheeler) को खरीदना पहले की तुलना में और सस्ता हो जाएगा. दरअसल, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और मैन्युफैक्चरिंग के उद्देश्य से, केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों (Electric Wheeler) पर सब्सिडी बढ़ाकर इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माताओं पर बोझ कम करने का फैसला किया है.
गौरतलब हो, केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर पर दिए जाने वाले इन्सेंटिव कैप को मौजूदा 20 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है. इसी तरह इलेक्ट्रिक टू व्हीलर वाहनों पर मिलने वाले डिमांड इन्सेंटिव में भी पचास फीसदी की बढ़ोतरी कर उसे 10 हजार रुपये प्रति केडब्ल्यूएच से बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रति केडब्ल्यूएच कर दिया है. सरकार के इस फैसले से इलेक्ट्रिक टू व्हीलर के कीमत में काफी कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है.
इलेक्ट्रिक टू व्हीलर के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के इरादे से सरकार ने उठाया कदम उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रिक टू व्हीलर के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के इरादे से केंद्र सरकार ने 2019 में फेम इंडिया फेस टू को लॉन्च किया था. इसके तहत इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स को सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया था. जानकारों का कहना है कि फेम इंडिया फेज 2 के तहत सब्सिडी पाने के नियम और उसकी पात्रता के मानदंड इतने सख्त हैं कि आम लोग को इलेक्ट्रिक टू व्हीलर की कीमत में कोई विशेष फायदा नहीं मिल पाता है.
सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चर ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2020 तक बिके इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स में फेम इंडिया फेज 2 स्कीम के तहत सिर्फ 3 फीसदी इलेक्ट्रिक टू व्हीलर की ही बिक्री हो सकी थी. नियमों की कड़ाई और पात्रता मानदंडों की सख्ती के कारण लोग पेट्रोल बाइक छोड़कर इलेक्ट्रिक बाइक की ओर आना कम पसंद कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि फेम इंडिया फेस 2 के तहत सब्सिडी हासिल करने के लिए किसी भी इलेक्ट्रिक टू व्हीलर की मिनिमम ड्राइविंग रेंज 80 किलोमीटर होनी चाहिए. साथ ही अधिकतम गति 40 किलोमीटर प्रति घंटे की होनी चाहिए. इसके अलावा ऐसे वाहनों के निर्माण में 75 फीसदी स्वदेशी कल पुर्जों का इस्तेमाल हुआ होना चाहिए. इतना ही नहीं इसमें एक शर्त ये भी है कि इलेक्ट्रिक टू व्हीलर के फुल चार्ज के लिए एनर्जी कंजंप्शन 8 यूनिट ही होना चाहिए.
बताया जा रहा है कि इन सभी मानदंडों को पूरा करने की कोशिश में इलेक्ट्रिक टू व्हीलर की लागत काफी बढ़ जाती है और सब्सिडी के बावजूद वो पेट्रोल वाहनों की तुलना में महंगा होता है. यही कारण है कि केंद्र सरकार की इस योजना को आशा के अनुरूप रिस्पांस नहीं मिल सका.
माना जा रहा है कि इन बातों को ध्यान में रखकर ही केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक टू व्हीलर के बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी में बढ़ोतरी करने का जो फैसला लिया है, उससे लोगों का रुझान इलेक्ट्रिक टू व्हीलर की ओर बढ़ेगा. इसके साथ ही इलेक्ट्रिक टू व्हीलर पर दिए जाने वाले इन्सेंटिव कैप को भी 20 से बढ़ाकर 40 फीसदी कर देने से भी आम उपभोक्ता इलेक्ट्रिक टू व्हीलर की ओर आकर्षित हो सकेंगे. जानकारों के मुताबिक वित्तीय प्रोत्साहन बढ़ने से इस श्रेणी में उत्पादों की स्वीकार्यता भी बढ़ सकेगी.
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