कर्ज संकट की वजह से करीब 6 महीने से बंद पड़ी एयरलाइन गो फर्स्ट की दिवालिया प्रक्रिया में इसका प्रमोटर वाडिया समूह भाग नहीं ले रहा है. कंपनी के लिए इनसॉल्वेंसी की प्रक्रिया जुलाई में शुरू हुई थी, जिसे बाद में सितंबर तक बढ़ा दिया गया था, लेकिन वाडिया समूह ने इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया है. वाडिया समूह के इनसॉल्वेंसी से बाहर रहने की वजह से ऐसा संकेत जा रहा है. समूह इस एयरलाइन से बाहर हो सकता है. वाडिया समूह ने 2005 में इस एयरलाइन की शुरुआत की थी.
दूसरी ओर दो कंपनियों जेटविंग्स एयरवेज और जिंदल पावर ने बंद पड़ी एयरलाइन गो फर्स्ट के लिए प्रारंभिक बोलियां लगाई हैं. बता दें कि गो फर्स्ट दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही है. असम के प्रमुख उद्यमियों- संजीव नारायण और अनुपम शर्मा द्वारा समर्थित जेटविंग्स एयरवेज ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि उसने गो फर्स्ट के लिए रूचि पत्र (ईओआई) दाखिल किया है. इंजन और आर्थिक संकटों का सामना कर रही गो फर्स्ट की उड़ानें तीन मई से ठप हैं और वह स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यावाही का सामना कर रही है.
जेटविंग्स एयरवेज का मुख्यालय असम के गुवाहाटी शहर में है. इसे हाल ही में एक अनुसूचित यात्री एयरलाइन के रूप में संचालित करने के लिए नागर विमानन मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मिला है. एयरलाइन ने कहा कि अपने मूल शहर गुवाहाटी को देशभर के प्रमुख गंतव्यों से जोड़ने के लिए उसके पास ठोस योजनाएं हैं. फिलहाल यह पता नहीं चल सका कि क्या अन्य संस्थाओं ने भी गो फर्स्ट के लिए रूचि पत्र दाखिल किया है. एक सूत्र ने बताया कि यदि जिंदल पावर को मूल्यांकन अपेक्षाकृत सस्ता लगता है तो वह बोली लगा सकती है. सूत्र ने कहा कि कंपनी ने संपत्ति और उसके दस्तावेज के मूल्यांकन के लिए रूचि पत्र जमा किया है और वह हर पहलू का ध्यान से आकलन कर रही है. वित्त वर्ष 2021-22 में गो फर्स्ट का परिचालन राजस्व 4,183 करोड़ रुपये रहा था.
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