चालू खरीफ सीजन में देशभर में खरीफ फसल की बुआई में मामूली बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. हालांकि मानसून की बरसात अनियमित रहने की वजह से फसल की उपज में गिरावट की आशंका जताई जाने लग गई है. मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 25 अगस्त तक देशभर में मानसून की बारिश 7 फीसद कम दर्ज की गई है. ऐसे में बरसात कम होने से फसलों की उपज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
सोयाबीन के रकबे में मामूली बढ़ोतरी खरीफ तिलहन के रकबे में भी गिरावट देखी जा रही है. मूंगफली, सूरजमुखी और तिल की खेती क्रमश: 3.31 फीसद, 64.84 फीसद और 7.34 फीसद पिछड़ी हुई है. मूंगफली की बुआई अभी तक 43.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस दौरान यह आंकड़ा 44.75 लाख हेक्टेयर था. हालांकि खरीफ तिलहन की सबसे बड़ी फसल सोयाबीन के रकबे में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. 25 अगस्त तक देशभर में सोयाबीन की बुआई करीब 1 फीसद बढ़कर 124.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल सोयाबीन का रकबा 123.60 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था.
तुअर का रकबा सबसे ज्यादा पिछड़ा दलहनी फसलों की बात करें तो उसकी खेती 8 फीसद से ज्यादा पिछड़ी हुई है. तुअर, उड़द, मूंग और अन्य दलहन की बुआई में क्रमश: 5 फीसद, 13.8 फीसद, 8.10 फीसद और 4.99 फीसद की गिरावट दर्ज की जा रही है. 25 अगस्त तक देशभर में तुअर का रकबा 42.11 लाख हेक्टेयर में दर्ज किया गया है, जबकि पिछले साल इस अवधि में तुअर की बुआई 44.38 लाख हेक्टेयर में हुई थी.
बुआई बढ़ने के बावजूद घट सकता है चावल उत्पादन कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 25 अगस्त तक देशभर में धान की बुआई 4 फीसद से ज्यादा बढ़कर 384.05 लाख हेक्टेयर हो गई है, जबकि पिछले साल इस अवधि में 367.83 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की गई थी. हालांकि बुआई में बढ़ोतरी के बावजूद देश में इस साल चावल के उत्पादन में 5 फीसद की गिरावट आ सकती है. नेशनल राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट-ICAR के डायरेक्टर अमरीश कुमार नायक के मुताबिक चावल उत्पादक राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में कम बारिश की वजह से उत्पादन में गिरावट का अनुमान है.
कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में खरीफ चावल का उत्पादन 110.032 मिलियन टन था. ऐसे में अगर उत्पादन में 5 फीसद गिरावट आती है तो उत्पादन करीब 55 लाख टन घटकर करीब 10.45 करोड़ टन रह जाएगा. अमरीश कुमार नायक का कहना है कि बारिश अच्छी तरह से वितरित होनी चाहिए ताकि धान की फसल की रोपाई के समय और उसके बाद के विकास में बाधा नहीं आए. कम बारिश की वजह से ओडिशा में धान की बुआई में देरी हुई है. इसी तरह देश के पूर्वी हिस्से के धान की बुआई करने वाले राज्यों में ऊपरी इलाकों के कई जिलों को कम बारिश का सामना करना पड़ा है.
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