सरकार की फ्री राशन स्कीम इसी महीने खत्म हो सकती है क्योंकि सरकार के पास बांटने के लिए अनाज बहुत सीमित बचा है. उसे बांटने की वजह निकट भविष्य में नजर भी नहीं आ रही, ऊपर से खुले बाजार में गेहूं की महंगाई सरकार को मजबूर कर सकती है कि वह अपने स्टॉक में रखे अनाज से कुछ गेहूं बाजार में बेचे ताकी सप्लाई सामान्य हो सके और गेहूं की महंगाई पर कुछ लगाम लग सके.
इस वजह से आटा हुआ महंगा
बीते दो महीने के दौरान खुले बाजार में गेहूं का भाव 13 फीसद से ज्यादा बढ़ चुका है. दो महीने पहले दिल्ली में गेहूं 2560 रुपए प्रति क्विंटल पर बिक रहा था और अब भाव 2900 रुपए के ऊपर है और गेहूं की कीमतों में हुई इस बढ़ोतरी से आटा भी महंगा हो गया है.
सरकार पर बनेगा ये दबाव?
गेहूं के साथ आटे की यह महंगाई सरकार पर दबाव डाल सकती है कि वह अपने स्टॉक से खुले बाजार में गेहूं बेचे. कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया गया है कि आने वाले दिनों में सरकार अपने स्टॉक से 20-30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेच सकती है. सरकारी स्टॉक में गेहूं पहले ही कम है और खुले बाजार में सरकार ने बिकवाली से सरकार के पास स्टॉक और भी कम हो जाएगा. पहली नवंबर तक केंद्रीय पूल में गेहूं का कुल स्टॉक 210 लाख टन दर्ज किया गया है जो पिछले साल के मुकाबले करीब 50 फीसद कम और नवंबर की शुरुआत में 14 वर्षों का सबसे कम स्टॉक है.
बंद हो जाएगी फ्री राशन स्कीम?
गेहूं की महंगाई और सप्लाई के ये आंकड़े कहीं से भी इस बात का समर्थन नहीं कर रहे कि सरकार फ्री राशन स्कीम में गेहूं बांटेंगी. रही बात चावल की तो सरकारी भंडार में उसका स्टॉक भी 4 साल के निचले स्तर पर है. हाल के दिनों में सरकार ने धान की खरीद जरूर बढ़ाई है लेकिन ऐसी कोई वजह नजर नहीं आती कि सरकार फ्री राशन स्कीम के लिए चावल की सप्लाई बढ़ाएगी.
गरीब जनता पर होगा असर
ऐसा माना जाता है कि गुजरात और हिमाचल चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने दिसंबर तक फ्री राशन स्कीम को लागू किया था. अब दिसंबर खत्म होने वाला है और चुनाव भी खत्म हो गए हैं. बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव भी अब अगले साल की अंतिम महीनों में ही आएंगे यानी फ्री राशन स्कीम को दिसंबर के आगे बढ़ाकर राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसका फायदा लेने की वजह भी बहुत दूर है और एक बार सरकार ने अगर दिसंबर में फ्री राशन स्कीम को रोका तो फिर उस स्कीम के दोबारा लौटने की उम्मीद नहीं है.