देश में जैसे-जैसे ऑनलाइन पेमेंट की आदत बढ़ रही है, वैसे-वैसे लोगों की एटीएम जाने की आदत छूट रही है. पहले जहां व्यक्ति एक साल में औसतन 16 बार एटीएम जाता था. अब वह सिर्फ 8 बार ही एटीएम का इस्तेमाल कर रहा है. SBI की इको रिसर्च के मुताबिक जब UPI से एक रुपए का लेनदेन बढ़ता है तो डेबिट कार्ड से ट्रांजैक्शन 18 पैसे घट जाता है.
एटीएम से कैश विड्रॉल कम होने का ये सिलसिला नवंबर 2018 से ही शुरू हो गया था. इसके पीछे एक सबसे बड़ी वजह है भारतीयों में डिजिटाइजेशन का लोकप्रिय होना. वित्त वर्ष 2017 में जहां UPI के जरिए 1.8 करोड़ ट्रांजेक्शन हुई. वहीं वित्त वर्ष 2023 तक ट्रांजेक्शन का यह आंकड़ा बढ़कर 8375 करोड़ हो गया. मूल्य के हिसाब से UPI के जरिए पेमेंट में 2000 गुना से अधिक का उछाल आया है. जहां पहले 6,947 करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन दर्ज हुए थे वही अब UPI से 139 लाख करोड़ रुपए के लेनदेन हुए हैं. भारत में डिजिटाइजेशन की लोकप्रियता का अंदाजा आप सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं कि इन पेमेंट में 60 फीसद हिस्सा गांव और छोटे शहरों का ही है.
क्रेडिट कार्ड के जरिए भी बढ़ा लेनदेन
वित्त वर्ष 2023 में क्रेडिट कार्ड के जरिए होने वाला खर्च 47 फीसदी बढ़कर 14 लाख करोड़ रुपए रहा. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सबसे ज्यादा मार्च में किया गया. इस दौरान क्रेडिट कार्ड के जरिए कुल 1.37 लाख करोड़ रुपए की पेमेंट की गई. ये लगातार 13वा महीना था जब क्रेडिट कार्ड के जरिए खर्च का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपए पार कर गया. ई-कॉमर्स और पॉइंट ऑफ सेल ट्रांजेक्शन्स के जरिए हुआ सबसे ज्यादा खर्च हुआ है. कुल ट्रांजैक्शन का 63 फीसद हिस्सा ई-कॉमर्स पेमेंट्स का रहा. इससे साफ पता चल रहा है कि भारतीयों की खर्च करने की आदत में बड़ा बदलाव आ रहा है.