भारतीय (RBI) की मानिट्री पॉलिसी कमेटी (MPC) की तीन दिन चली बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को पॉलिसी की घोषणा कर दी. रिजर्व बैंक ने अनुमान के मुताबिक रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और रेपो 6.5 फीसद पर बरकरार रखा है. केंद्रीय बैंक ने महंगाई के मोर्चे पर संतोष जताया है लेकिन दूध की कीमतें बढ़ने की आशंका जताई है.
आरबीआई का कहना है कि दूध की सप्लाई घटने और चारा महंगा होने का असर कीमतों पर पड़ सकता है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक देश में पिछले एक साल में दूध करीब 15 फीसद महंगा हुआ है. एक साल पहले देश में दूध के औसत दाम 48 रुपए प्रति लीटर थे जो अब बढ़कर 55 रुपए लीटर पर पहुंच गए हैं. देशभर में चारे की महंगाई काफी तेजी से बढ़ रही है. इसका असर दूध की कीमतों पर पड़ रहा है. दरअसल, दूध की लागत में 65 फीसद हिस्सा चारे का होता है. इसी वजह से आरबीआई को दूध की महंगाई की चिंता सता रही है.
डेयरी कंपनियां वित्त वर्ष 2022-23 में दूध के दाम कई बार बढ़ा चुकी हैं. मार्च 2022 तुलना में मार्च 2023 में दूध के दाम में 9.31 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई थी. मार्च 2022 में यह आंकड़ा 4.7 फीसद पर रहा था. फरवरी 2023 में चारे की थोक महंगाई 24 फीसद बढ़ी थी. इसके बाद चारे के खुदरा भाव और तेजी से बढ़ रहे हैं जो अभी तक काबू नहीं हो पाए हैं.
आरबीआई ने हालांकि महंगाई को लेकर अपने पिछले अनुमान में कटौती की है. वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान खुदरा महंगाई 5.1 फीसद रहने का अनुमान है. केंद्रीय बैंक ने पहले पहले यह आंकड़ा 5.2 फीसद रहने का अनुमान जारी किया था. जून तिमाही के लिए खुदरा महंगाई के अनुमान को 5.1 फीसद से घटाकर 4.6 फीसद किया गया है और सितंबर तिमाही के लिए महंगाई के अनुमान को 5.4 फीसद से घटाकर 5.2 फीसद किया गया है.
ग्रोथ का अनुमान आरबीआई ने आर्थिक विकास दर को लेकर कहा है. कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान ग्रोथ 6.5 फीसद रह सकती है. आरबीआई ने जून और सितंबर तिमाही के लिए तो ग्रोथ अनुमान बढ़ाया है. लेकिन दिसंबर और मार्च तिमाही के लिए ग्रोथ के अनुमान में कटौती की है. दिसंबर तिमाही के ग्रोथ अनुमान को 6.1 फीसद से घटाकर 6 फीसद किया गया है. इसी तरह मार्च तिमाही के लिए ग्रोथ के अनुमान को 5.9 फीसद से घटाकर 5.7 फीसद किया है.
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