देश के अधिकांश हिस्सों में एक ओर जहां भारी बारिश हो रही है. वहीं दूसरी ओर कुछ राज्य ऐसे भी जहां अभी भी मानसून की बरसात में कमी दर्ज की जा रही है. बिहार, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में अभी भी बरसात में कमी देखने को मिल रही है. बरसात में कमी का सबसे ज्यादा असर दलहन की बुआई पर पड़ा है. वहीं बुआई घटने का असर दालों की कीमतों पर साफतौर पर देखा जा रहा है. खासकर तुअर, उड़द और मूंग के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में अभी तक दलहन की बुआई में 13 फीसद से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है.
दलहन की कीमतों में उछाल तुअर उत्पादक राज्यों में बरसात कम होने की वजह से बुआई घट गई है और जिसकी वजह से तुअर की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है. बीते एक साल में तुअर की कीमतों में 32 फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है, जबकि एक महीने के भीतर भाव 7 फीसद बढ़ चुका है. बता दें कि सरकार के द्वारा कीमतों पर लगाम लगाने की कई कोशिशों के बावजूद तुअर के दाम बढ़ गए हैं. दूसरी ओर उड़द और मूंग की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. बीते एक साल में उड़द और मूंग क्रमश: 10 फीसद और 8.8 फीसद महंगा हुआ है.
दलहन का रकबा घटा कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ सीजन में अभी तक देशभर में दलहन की बुआई 13 फीसद से ज्यादा घट गई है. इस साल अभी तक 66.93 लाख हेक्टेयर में दलहन की खेती की जा चुकी है, जबकि पिछले साल इस दौरान 77.17 लाख हेक्टेयर में दलहन बोया गया थाय. हालांकि अगर आंकड़ों को अगर देखें तो खरीफ दलहन की सबसे बड़ी फसलों में से एक तुअर के रकबे में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. चालू खरीफ सीजन में पिछले साल की तुलना में तुअर का रकबा 38 फीसद से ज्यादा घट गया है. इस सीजन में अभी तक 17.04 लाख हेक्टेयर में तुअर की बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस दौरान 27.59 लाख हेक्टेयर में तुअर की बुआई हुई थी. उड़द के रकबे में 1 फीसद से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है और इस दौरान 19.37 लाख हेक्टेयर में उड़द की खेती की गई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 20.49 लाख हेक्टेयर का था. हालांकि मूंग की बुआई में 7.56 फीसद की हल्की बढ़त देखने को मिल रही है. मूंग की खेती अभी तक 22.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल 20.84 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती की गई थी.
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