एलपीजी कीमतों में हुई 200 रुपए प्रति सिलेंडर की कटौती का बोझ सरकारी तेल कंपनियां उठाएंगी. सूत्रों का कहना है कि इसके लिए सरकार शायद कोई सब्सिडी न दे. ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि पेट्रोलियम कंपनियों की चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बंपर कमाई हुई है. इसके अलावा कच्चे तेल के दाम भी इस समय उच्चतम स्तर से नीचे बने हुए हैं, जिससे संभावना जताई जा रही है कि हालिया कटौती का भार कंपनियों पर ही डाला जाएगा.
सरकार ने मंगलवार को महंगाई के असर को कम करने के लिए घरेलू रसोई गैस की कीमतों में 200 रुपए प्रति सिलेंडर की कटौती की थी. सरकार के इस कदम को आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सस्ते एलपीजी सिलेंडर देने के वादे के तोड़ के रूप में भी देखा जा रहा है. सरकार की घोषणा के बाद राष्ट्रीय राजधानी में 14.2 किलोग्राम वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1,103 रुपए से घटकर 903 रुपए हो गई. उज्ज्वला लाभार्थियों के लिए पहले से जारी प्रति सिलेंडर 200 रुपए की सब्सिडी को जोड़ने पर उनके लिए कीमत 703 रुपए होगी.
उद्योग के जानकारों का कहना है कि सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने अप्रैल-जून तिमाही में बंपर कमाई की है. इसके अलावा, घरेलू एलपीजी दरों को जिस कीमत पर तय किया जाता है, वह मार्च 2023 में 732 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से घटकर इस साल जुलाई में 385 अमेरिकी डॉलर रह गई.
अगस्त में दरें बढ़कर 464 अमेरिकी डॉलर प्रति टन हो गई हैं, लेकिन फिर भी तेल कंपनियों के पास एलपीजी की कीमतों में कटौती करने की पर्याप्त गुंजाइश है. तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक साक्षात्कार में कहा कि तेल कंपनियों ने अप्रैल-जून तिमाही में बहुत अच्छा मुनाफा कमाया है.
सूत्रों का कहना है कि कीमत में कटौती तेल कंपनियों के खाते में जाएगी. सरकार ने अब तक सब्सिडी देने का संकेत नहीं दिया है. सूत्रों का यह भी कहना है कि अगर कीमत में कटौती करने के लिए बेंचमार्क दर में कमी ही एकमात्र मानदंड था, तो यह कटौती जुलाई में की जानी चाहिए थी. यह फैसला राजनीतिक है. पिछले कुछ वर्षों में रसोई गैस की कीमतें बढ़ी हैं और यह एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बन गया है.
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