देश में अल नीलो के असर से मानसून सीजन में कम बारिश होने की आशंका जताई जा रही है. कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ने का भी अनुमान है. हालांकि भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने देश में इस साल मनसून सामान्य रहने का अनुमान जारी किया है. केरल में मनसून की शुरुआत जून के पहले हफ्ते हो सकती है. मौसम विभाग ने अपने लंबी अवधि के पूर्वानुमान के अपडेट में बताया है कि जून में बारिश सामान्य से कम रह सकती है. इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि जून में ही सूखा आना शुरू हो सकता है. आखिर कब घोषित किया जाता है सूखा, इसका क्या है पैमाना, आइए समझते हैं.
भारतीय मौसम विभाग के मानकों के अनुसार अनुसार जिस साल देश में बारिश सामान्य से 10 फीसद से अधिक कम रहती है और देश का 20 से 40 फीसद हिस्सा इसी स्थिति से गुजरता है तो आधिकारिक रूप से पूरे देश को सूखाग्रस्त घोषित किया जाता है. इसी तरह अगर देश में मानसून सीजन में 10 फीसद से कम बारिश होती है और देश के 40 फीसद से ज्यादा भूभाग में यही हालात रहते हैं तो यह गंभीर सूखा माना जाता है.
देश में मौसम का अनुमान जारी करने वाली निजी संस्था स्काईमेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत कहते हैं कि सूखे की घोषणा राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर बारिश के आंकड़ों के आधार पर की जाती है. अगर हम पूरे देश की बात करें जून से सितम्बर के बीच बारिश लंबी अवधि के औसत (LPA) के 90 फीसद से कम रहती है तो यह साल सूखा की श्रेणी में शुमार होगा. उदाहरण के तौर पर सामान्य बरिश का आंकड़ा 100 है और देश में 88 फीसद बरिश होती है तो यह सूखा माना जाएगा. अगर क्षेत्रीय स्तर की बात करें तो सामान्य से 19 फीसद कम बारिश होने पर उस क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित किया जाता है. हालांकि सूखा की घोषणा सरकारी मानकों के आधार पर ही की जाती है.
सामान्य मानसून में कितनी बरसात? इस साल मौसम विभाग ने मानसून सीजन के दौरान सामान्य (96%) बरसात का अनुमान लगाया है, जबकि निजी संस्था स्काइमेट ने सामान्य से कम (95%) बरसात का अनुमान लगाया है, हालांकि दोनों के अनुमान में सिर्फ 1 फीसद का अंतर है. मानसून सीजन के दौरान अगर 96 फीसद से 104 फीसद बरसात होती है तो सामान्य मानसून माना जाता है. इसी तरह 90 फीसद से 95 फीसद बरसात होने पर सामान्य से कम मानसून माना जाता है. मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देशभर में औसतन 868.6 मिलीमीटर बरसात को सामान्य माना जाता है.
कौन करता है घोषणा? भारत में सभी राज्य स्थानीय स्तर पर बारिश के आंकड़े जुटाते हैं. इसके बाद विभिन्न मानकों के आधार पर इनका विश्लेषण किया जाता है. अगर बारिश का वास्तिवक आंकड़ा निर्धारित मानकों से नीचे रहता है तो राज्य सरकार सूखा नोटिफाई (अधिसूचित) करके केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजती है. इसके बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए एक अंतर मंत्रालयी टीम संबंधित राज्य का दौरा करती है. यह टीम अपनी रिपोर्ट उच्च स्तरीय कमेटी को सौंपती है. मानसून सीजन में बारिश का आंकड़ा तय सीमा से नीचे रहता है तो सरकार का आपदा प्रबंधन समूह संबंधित राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करता है. अगर देश का 40 फीसद हिस्सा सूखा की चपेट में है तो पूरा देश सूखाग्रस्त घोषित कर दिया जाता है.
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