गेहूं की बढ़ी हुई कीमतों उपभोक्ताओं के साथ किसानों के लिए भी मुसीबत बन गई हैं. देश में गेहूं की बुआई का सीजन पीक पर है और ऐसे समय में खेती के लिए बीज का भाव पिछले साल के मुकाबले 25-26 फीसद महंगा हो गया है. रिपोर्ट्स की मानें तो मध्य प्रदेश में बीज का गेहूं खरीदने के लिए किसानों को प्रति क्विंटल 3500 रुपए देने पड़ रहे हैं. जबकि पिछले साल भाव 2700 रुपए के करीब था. वहीं शोध संस्थानों को गेहूं खरीदना है तो प्रति क्विंटल 7000 रुपए का भाव चुकाना पड़ रहा है.
इस साल गेहूं का ज्यादा भाव रिकॉर्ड स्तर पर है इसलिए किसानों ने अपने पास रखा पुराना गेहूं मंडियों में ज्यादा मात्रा में बेचा है. इस साल पहली अक्टूबर से 7 नवंबर के दौरान कृषि उपज मंडियों में बिकने के लिए आए गेहूं की सप्लाई देखें तो पिछले साल के मुकाबले 40 फीसद ज्यादा गेहूं बिका है. इस दौरान 10.80 लाख टन गेहूं कृषि उपज मंडियों में बिकने के लिए पहुंचा है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा पौने 8 लाख टन से भी नीचे था. मंडियों में गेहूं की अधिक सप्लाई की वजह से भी बीज के लिए गेहूं की किल्लत हो रही है.
भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने और खेती के लिए मौसम अनुकूल होने की वजह से इस साल गेहूं की खेती भी बढ़ रही है और उसकी वजह से भी बीज के लिए मांग ज्यादा है. 4 नवंबर तक देशभर में 7.5 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती दर्ज की गई है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 5 गुना अधिक है. पिछले साल इस दौरान सिर्फ 1.4 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हो पाई थी.
देश में औसतन 330-340 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है. और प्रति हेक्टेयर 120-125 किलो बीज की आवश्यकता होती है. इस लिहाज से बीज के लिए देशभर में करीब 40 लाख टन गेहूं की जरूरत होगी. इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं की सप्लाई अगले 2 महीने में जरूरी होगी. ऐसा नहीं हुआ तो एक बार फिर से गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ेगा.