दिल्ली में रहने वाले सुरेश गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में काम करते हैं. गुरुवार शाम को जब अमेरिका के जीडीपी आंकड़े आए तो उनको देखकर खुश थे. आंकड़ों से पता चला कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक की सख्त मौद्रिक नीति के बावजूद जून तिमाही के दौरान अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ अनुमान से ज्यादा रही है. जून तिमाही में अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ 2.4 फीसद दर्ज की गई है जबकि बाजार सिर्फ 1.8 फीसद ग्रोथ का अनुमान लगा रहा था.
अमेरिका की अर्थव्यवस्था में यह ग्रोथ ऐसे समय पर आई है जब पूरी दुनिया को आशंका थी, कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी में जा रही है. लेकिन आंकड़ों से लग नहीं रहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी में जा रही है. उल्टे संभावना बढ़ गई है कि आने वाले दिनों में वहां पर ग्रोथ और मजबूत होगी. दिल्ली के सुरेश जिस आईटी कंपनी में काम करते हैं वह अमेरिका में सेवाएं देती हैं, पहले मंदी की आशंका से सुरेश की कंपनी ने कर्मचारियों का प्रमोशन रोक दिया था. लेकिन अब अमेरिका में मंदी की आशंका घटी है, तो सुरेश को भी प्रमोशन की उम्मीद बढ़ गई है.
अमेरिका में मंदी की आशंका खत्म होने का संकेत सिर्फ जीडीपी आंकड़ों से ही नहीं मिला है, बल्कि वहां पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी संकेत दे रही है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक अब मंदी नहीं देख रहा. और अमेरिका में मंदी की आशंका खत्म होने से दिल्ली के सुरेश सहित भारतीय आईटी कंपनियों के लाखों कर्मचारियों को राहत मिली है. अमेरिका भारतीय आईटी कंपनियों के लिए बड़ा बाजार है और वहां पर मंदी की आशंका को देखते हुए देश की सभी बड़ी आईटी कंपनियों ने या कर्मचारियों की भर्ती घटाने के साथ कई कर्मचारियों को निकाला भी था. इसके अलावा आईटी सेक्टर में काम कर रहे कई वरिष्ठ कर्मचारियों का प्रमोशन रोका गया था. अब उम्मीद जगी है कि भारत की आइटी कंपनियां फिर से नौकरियां खोल सकती हैं.
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझीदार भी है. भारत से अमेरिका को निर्यात ज्यादा होता है और आयात कम. ऐसे में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ बढ़ती है तो भारत को उसका फायदा मिलता है.