वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत में यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE ) चौथा सबसे बड़ा निवेशक बन गया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में यूएई से भारत में विदेशी निवेश तीन गुना बढ़कर 3.35 अरब डॉलर हो गया जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 1.03 अरब डॉलर था. इससे पहले यूनाइटेड अरब अमीरात 2021-22 में भारत में सातवां सबसे बड़ा निवेशक था. भारत में सबसे बड़े विदेशी निवेशकों की लिस्ट में 17.2 अरब डॉलर के निवेश के साथ सिंगापुर का नाम अब भी टॉप पर है, जबकि 6.1 अरब डॉलर के साथ दूसरे नंबर पर मॉरीसस वहीं, 6 अरब डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर अमेरिका है.
मुक्त कारोबार के लिए करार
भारत में निवेश करने वाले देशों में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) सातवें स्थान से चौथे स्थान पर आ गया है. मई, 2022 में दोनों देशों के बीच मुफ्त कारोबार एग्रीमेंट हुआ था. इसके बाद, पिछले वित्त वर्ष में यूएई से 3.35 अरब डॉलर का निवेश आया जबकि 2021-22 में यह 1.03 अरब डॉलर था. भारत में संयुक्त अरब अमीरात सेवाओं, ऊर्जा, समुद्री परिवहन और विनिर्माण क्षेत्रों में निवेश करता है. दोनों देशों के बीच निवेश में तेजी दिख ही है. दरअसल, दोनों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों, और व्यापर के लिए नीतिगत सुधार के चलते निवेश में इजाफा हो रहा है.
इससे पहले पिछले साल, 18 फरवरी, 2022 को भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किया गया. जो समझौता एक मई, 2022 से प्रभावी है. इसे बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और बेहतर होते दिख रहे हैं.
रुपया-दिरहम में भुगतान पर चर्चा
दूसरी तरफ केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) की संयुक्त समिति की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘रुपए-दिरहम के लिए बातचीत तेज गति से आगे बढ़ रही है और भारत का वित्त मंत्रालय इसका बहुत समर्थन करता है. गोयल ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और यूएई का केंद्रीय बैंक रुपया-दिरहम व्यापार तंत्र के लिए सक्रिय बातचीत कर रहे हैं.