अमेरिकी डॉलर की मजबूती वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन गई है. रिजर्व बैंक ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर अक्टूबर के लिए जारी बुलेटिन में यह बात कही है. बुलेटिन में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि मजबूत अमेरिकी डॉलर वैश्विक विकास के इंजनों के लिए जोखिम भी पैदा कर रहा है. बुलेटिन में लेख लिखने वालों में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा भी शामिल हैं. आपको बता दें कि बुलेटिन में लेख लिखने वाले लेखकों के विचार व्यक्तिगत होते हैं और इसमें रिजर्व बैंक का मत नहीं हैं.
बुलेटिन में रिजर्व बैंक के अधिकारियों का बयान ऐसे समय में आया है जब कच्चा तेल महंगा होने से भारत जैसे आयातकों के ऊपर महंगाई का दबाव वापस बढ़ गया है. आरबीआई के अक्टूबर के बुलेटिन में वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉलर में मजबूती की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर चिंता जताई है. अधिकारियों ने लेख में कहा है कि डॉलर की मजबूती पहले से तंग वित्तीय स्थितियों को और भी ज्यादा सख्त बना रही है. इसके अलावा ऊंची ऊर्जा कीमतें और मजबूत अमेरिकी डॉलर को देखते हुए दुनियाभर में मौद्रिक नीतियां बनाने वाले अधिकारी लंबे समय तक सतर्क रह सकते हैं. बता दें कि जुलाई के अंत से डॉलर इंडेक्स में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. भारी ऋण आपूर्ति और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की आशंकाओं की वजह से अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड करीब दो दशकों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है.
दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि डॉलर सूचकांक मजबूत हो गया है और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि अगर आप भारतीय रुपए में उतार-चढ़ाव को देखें तो एक जनवरी से अबतक रुपए की विनिमय दर में 0.6 फीसद की कमी आई है. वहीं अमेरिकी डॉलर के मूल्य में इस दौरान तीन फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है यानी रुपया स्थिर है. हम रुपये में अत्यधिक उतार-चढ़ाव रोकने के लिये विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में हैं.