चीनी और चावल के निर्यात पर अंकुश की वजह से उसकी स्मगलिंग बढ़ गई है. बता दें कि G2G यानी सरकार टू सरकार रूट के तहत 10 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए मना कर दिया है और यही वजह है कि बांग्लादेश को चीनी की स्मगलिंग की जा रही है. सरकार ने सीमित उपलबल्धता की वजह से चीनी के निर्यात पर रोक लगा दी थी. खाद्य मंत्रालय ने घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पिछले साल अक्टूबर के दौरान इसके निर्यात को मुक्त से प्रतिबंधित की कैटेगरी में कर दिया था, जो कि इस साल 30 अक्टूबर तक प्रभावी है.
मार्च से जारी है चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी सरकार को चिंता सता रही है कि स्मगलिंग की वजह से देश के चीनी के स्टॉक में गिरावट आ सकती है और उससे कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है. चीनी और चावल की स्मगलिंग को देखते हुए खाद्य मंत्रालय ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी BSF, सिक्योरिटी एजेंसीज और कस्टम के अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है. बता दें कि BSF के पास बांग्लादेश से सटी 4,096 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की चौकसी का जिम्मा है. सरकारी अधिकारियों का लक्ष्य इन अवैध निर्यातों पर अंकुश लगाने के लिए उपाय और रणनीतियां बनाना है. गौरतलब है कि मार्च से चीनी की कीमतों में आक्रामक रूप से बढ़ोतरी देखने को मिली है.
हालांकि चीनी उद्योग से जुड़े एक जानकार का कहना है कि अगर चीनी की स्मगलिंग हो रही है तो ज्यादा से ज्यादा 3 लाख से 4 लाख टन चीनी देश से बाहर जा सकता है, जिससे घरेलू खपत पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. मार्च से लेकर अभी तक चीनी का एक्स मिल भाव 6.5 फीसद बढ़ चुका है. उत्तर प्रदेश में चीनी का भाव 3,600-3,700 रुपए प्रति क्विंटल और महाराष्ट्र में 3,470-3,525 रुपए प्रति क्विंटल के दायरे में है.
पड़ोसी देशों को बढ़ी ब्रोकेन राइस की स्मगलिंग वहीं दूसरी ओर सरकार ने घरेलू बाजार में चावल की सप्लाई बनाए रखने और कीमतों पर लगाम लगाने के मकसद से पिछले साल सितंबर में टूटे चावल के निर्यात पर अंकुश लगा दिया था. टूटे हुए चावल के निर्यात पर रोक की वजह से पड़ोसी देशों को इसकी स्मगलिंग बढ़ गई है. मानसून की बरसात के असमान वितरण की वजह से जून के बाद से लॉन्ग ग्रेन चावल के साथ टूटे चावल के थोक भाव में 13.6 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. फिलहाल देशभर के थोक हाजिर बाजार में टूटे चावल का औसत भाव 2,500 रुपए प्रति क्विंटल बताया जा रहा है.
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