Rice Price Hike:पिछले कुछ दिनों से दुनिया भर में चावल की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हुई है.अब एशियाई बाजार में भी इस बढ़ोतरी का असर दिखने लगा है. एशियाई बाजार में चावल के दाम 15 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने ताजा आंकड़े पेश किए हैं. इस आंकड़े में कहा गया है कि 5 फीसदी टूटे थाई चावल के दाम अक्टूबर 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर 648 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गए हैं. इस साल चावल की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 50 फीसद की बढ़ोतरी हुई है.
क्यों बढ़ रही कीमतें? चावल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी की कई वजह हैं. सबसे बड़ी वजह है- चावल की मजबूत मांग. इसके अलावा भारत ने अभी कुछ समय पहले ही गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. इस वजह से भी एशियाई बाजार में चावल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. दरअसल, भारत के निर्यात पर बैन लगाने से ग्लोबल मार्केट में चावल की सप्लाई कम हो गई है. इसके अलावा, चावल उत्पादक देशों में ख़राब मौसम के कारण पैदावार पर भी असर पड़ा है. थाईलैंड में सूखे के कारण हुई कम पैदावार का असर भी चावल के दाम पर दिखने लगा है. कुल मिलकर कई वजहों से आपूर्ति में अधिक गिरावट आई है, जिसके चलते चावल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं.
एशिया अफ्रीका पर पड़ेगा असर भारत समेत दुनिया के कई देशों में चावल खाया जाता है. चावल दुनिया के तीन सौ करोड़ लोगों का मुख्य भोजन है. एशियाई और अफ्रीकी देशों में चावल सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला अनाज है. ऐसे में, चावल की बढ़ती कीमतों का असर सीधा इन देशों पर पड़ेगा. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार El Nino के कारण थाईलैंड में चावल की फसल पर बहुत बुरा असर पड़ा है. सूखे की स्थिति को देखते हुए थाईलैंड सरकार ने किसानों से कम पानी की जरूरत वाली फसलों को लगाने की सलाह दी है. थाईलैंड में इस साल El Nino के कारण 40 फीसदी तक कम बारिश हुई है, जिसका सीधा असर धान उत्पादन पर दिख रहा है.
भारत ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगाया बैन भारत ने घरेलू मांग को पूरा करने के लिए हाल ही में गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है. इसके चलते वैश्विक बाजारों में चावल की आपूर्ति घट गई है. भारत की चावल के वैश्विक निर्यात में 40 फीसदी तक हिस्सेदारी है. ऐसे में केंद्र सरकार के गैर बासमती चावल के बैन के फैसले के बाद वैश्विक स्तर पर चावल की कमी हो गई है. ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि भारत के इस फैसले और थाईलैंड के खराब मौसम के चलते आने वाले समय में चावल की कीमतों में और इजाफा हो सकता है.
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