सरकार की तरफ से धान की खरीद में हुई बढ़ोतरी के बावजूद चावल का भाव महंगा होने की आशंका बढ़ गई है. भारत सहित दुनियाभर में इस साल चावल की उपज कम अनुमानित है. ऊपर से निर्यात पर पाबंदियों के बावजूद देश से चावल का एक्सपोर्ट बढ़ रहा है और सरकार के गोदामों में भी स्टॉक कई सालों के निचले स्तर पर आ गया है.
एक नवंबर तक केंद्रीय पूल में चावल का कुल स्टॉक 165 लाख टन दर्ज किया गया है. नवंबर की शुरुआत का चार वर्षों में सबसे कम स्टॉक है और पिछले साल के मुकाबले 63 लाख टन कम है. पिछले साल नवंबर की शुरुआत में सरकार के गोदामों में 229 लाख टन से ज्यादा चावल का स्टॉक था.
भारत सहित दुनियाभर में चावल की उपज घटने का अनुमान
इस साल भारत सहित दुनियाभर में चावल की उपज घटने का अनुमान लगाया गया है. ऊपर से खपत के बाद बचने वाला स्टॉक भी कम रहने का अनुमान है. यानी वैश्विक स्तर पर चावल की सप्लाई पिछले साल के मुकाबले कम है. अमेरिकी कृषि विभाग की मानें तो दुनियाभर में इस साल चावल की उपज और एंडिंग स्टॉक में एक करोड़ टन से ज्यादा की गिरावट आ सकती है. उपज घटकर 50.36 करोड़ टन अनुमानित है. खपत के बाद 16.90 करोड़ टन स्टॉक बचेगा.
खरीफ चावल उत्पादन में करीब 63 लाख टन कमी का अनुमान
इस साल भारत में भी खरीफ चावल उत्पादन में करीब 63 लाख टन कमी का अनुमान है. उत्पादन में आई इस कमी को देखते हुए सरकार ने गैर बासमती चावल निर्यात पर कुछ पाबंदियां लगाई हैं, और टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है. लेकिन इसके बावजूद पिछले साल की तुलना में भारत से चावल का निर्यात बढ़ा है.
इस साल देश से 111 लाख टन से ज्यादा चावल का निर्यात
इस साल अप्रैल से सितंबर के दौरान देश से 111 लाख टन से ज्यादा चावल का निर्यात हो चुका है, जबकि पिछले साल इस दौरान 101 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था. हालांकि चावल से सरकारी गोदाम भरने के लिए सरकार ने किसानों से धान की खरीद बढ़ाई जरूर है.
सरकारी एजेंसियों ने किसानों से 231 लाख टन धान खरीदा
10 नवंबर तक सरकारी एजेंसियां किसानों से 231 लाख टन धान खरीद चुकी हैं, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 3 लाख टन ज्यादा है. लेकिन इस खरीद में बढ़ोतरी के बावजूद चावल की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. ऊपर से सरकार को फ्री राशन स्कीम भी दिसंबर तक चलानी है. और उसके लिए भी चावल की जरूरत है यानी मांग के मुताबिक सप्लाई नहीं बढ़ रही यही वजह है कि चावल के महंगा होने की आशंका बढ़ गई है.