महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) काफी कोशिश कर रही है. केंद्रीय बैंक ने महंगाई दर को 4 फीसद से नीचे लाने का लक्ष्य भी तय किया है, लेकिन खाने-पीने की चीजों की कीमतों में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव ने इसे मुश्किल बना दिया है. साथ ही सीमा पार हो रहे राजानीतिक तनाव ने नई चुनौती खड़ी कर दी है. ये बातें आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को ‘59वें सीसेन गवर्नेंस सम्मेलन’ के दौरान कहीं.
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘हम महंगाई में गिरावट के अंतिम चरण से निपटने के लिए सतर्क हैं क्योंकि यह अक्सर सफर का सबसे मुश्किल दौर होता है. उनका मानना है कि स्थिर और कम महंगाई दर स्थायी आर्थिक वृद्धि के लिए जरूरी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि महंगाई दर साल 2022 की गर्मियों के उच्चतम स्तर से अब नीचे आ चुकी है. द्विमासिक मौद्रिक नीति के लिए अहम खुदरा महंगाई दर जनवरी महीने में 5.1 प्रतिशत रही है.
सात फीसद रह सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था
दास ने कहा कि भारत कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर चुका है और यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है. आरबीआई का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. यह लगातार चौथा साल होगा जब इसकी वृद्धि दर सात प्रतिशत या उससे अधिक रहेगी. लगातार कई उतार-चढ़ाव के बीच भारत की समन्वित नीतिगत प्रतिक्रिया (को-ऑर्डिनेटेड पॉलिसी रिस्पाॅन्स) भविष्य के लिए एक अच्छा मॉडल हो सकती है. भविष्य की जरूरतों पर बात करते हुए दास ने कहा, ‘‘हम यहां से जो रास्ता अपनाएंगे वह आने वाले समय में हमारा भाग्य तय करेगा. ऐसे में हमें ऐसी नीतियों की जरूरत है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था की नई वास्तविकताओं के हिसाब से हो. अनिश्चित दुनिया में केंद्रीय बैंकों को अपने लक्ष्य को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए सक्रिय होने की जरूरत है.